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ओपिनियन

पुरानी टैक्स व्यवस्था का विकल्प चुना है तो टैक्स छूट का दावा करने की अनुमति

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा वेतन भोगी व्यक्तियों को नोटिस भेजकर आयकर रिटर्न दाखिल करते समय दावा की गयी टैक्स छूट और कटौती का प्रमाण मांगा जा रहा है, अगर टैक्सपेयर ने पुरानी टैक्स व्यवस्था का विकल्प चुना कानून के तहत टैक्स हुए है, तो आयकर का दावा करने की अनुमति दी जाती है, कोई भी टैक्स – पेयर एचआरए, देवेल अलाउंस, होम लोन पर पेमेंट किये गये ब्याज, डोनेशन आदि पर हुट का दावा कर सकता है. चार्टर्ड अकाउंटेंट उत्पल आनंद ने बताया कि कुछ टैक्सपेयर्स ऐसे भी हैं, जो टैक्स छूट का दावा करने और आयकर बचाने के लिए नकली किराया रसीदों या यात्रा बिलों का उपयोग करते है ऐसे में आइटी विभाग से नोटिस मिल सकता है

ये टैक्सपेयर्स असेसमेंट इयर 2022-23 के हैं. ऐसे में अगर > फाइनेंशियल इयर या असेसमेंट इयर के आप करेंट लिए आट्टी आर फाइल कर रहे है तो आपको कुछ बातें ध्यान मे रखनी चाहिए, उत्पल आनंद ने बताया कि आप संबंधित टैक्स छूट का दावा तभी कर सकते है आपके पास उससे संबंधित दस्तावेज उपलब्ध हो. इनकम टैक्स विभाग ने अब फर्नी रेंट स्लीप के जरिये एच आर ए की छुट या डोनेशन इत्यादि का डिडक्शन क्लेम करने वाले करदाताओ की पहचान करनी शुरू कर दी है. ऐसे करदाताओं को नोटिस भी भेज रहा है.

ऐसे पकड़ आ रहा फर्जीवाड़ा : विभाग द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर पैन और आधार के जरिये सभी तरह के लेनदेन पर नजर रखी जा सकती है. दरअसल, रेट स्लिप के जरिये इनकम टैक्स छूट का दावा करने के लिए कुछ नियम बनाये गये हैं,

जिनका पालन करना हर किसी के लिए जरूरी है. उन्होने बताया कि आयकर नियमो के तहत अगर किसी का सालाना किराया एक लाख रुपये से ज्यादा है, तो उसे मकान मालिक के पैन का ब्यौरा अपने इम्प्लायर को देना जरूरी होता है. ऐसे में जब कोई करदाता रेंट स्लिप के जरिये किराये पर टैक्स टूट लेता है, तो मकान मालिक के पैन कार्ड के जरिये उनके एआइएस मे “शि का विवरण इस रा भी देखा जाता है अगर बिना किराया चुकाये ही क्लेम किया गया है तो विभाग को इसका पता चल जाता है और फौरन नोटिस आ जाता है।

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