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मध्य प्रदेश

अपनी शादी में दहेज लेने वाला, अब नहीं बना पायेगा सिविल जज

भोपाल

मध्य प्रदेश में अब सिविल जज बनाना आसान नहीं होगा। उम्मीदवार शादी में दहेज लेते हैं, तो वे सिविल जज की भर्ती परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो पाएंगे। हाईकोर्ट शादी कर चुके उम्मीदवारों पर भी नजरें रखेगा। इसके अलावा तीन वर्ष का विधि व्यवसाय करने वाला या एक ही बार में विधि विषय की परीक्षा पास करने वाला उम्मीदवार 70 फीसदी अंक प्राप्त करने की दशा में सिविल जज की परीक्षा में बैठ सकेगा।

कुंवारे उम्मीदवार सिविल जज की परीक्षा में बैठ रहे हैं और उनकी शादी पक्की होने वाली है, तो वे सावधान रहें। उन्हें दहेज से दूर रहना होगा, क्योंकि हाईकोर्ट ने सिविल जज की भर्ती नियमावली में दहेज लेने पर पाबंदी लगाने के नया क्लोज जोडा है। इसमें हाईकोर्ट ने कहा कि विवाह में दहेज लेने वाला उम्मीदवार सिविल जज की परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएगा।

70 फीसदी अंक का हो रहा विरोध
सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग के  लिए 70 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अभ्यर्थी 50 प्रतिशत अंक लाने पर ही परीक्षा के लिए पात्र माने जाएंगे। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की सलाह पर विधि एवं विधायी कार्य विभाग ने मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती तथा सेवा शर्ते नियम) 1994 में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है। 70 फीसदी अंक का चौरफा विरोध किया जा रहा है। हाईकोर्ट अपने आदेश पर अडिग बना हुआ है।

एक से अधिक पत्नी रखने वाला भी होगा अयोग्य
संशोधित नियम के तहत अपने विवाह में दहेज स्वीकार करने वाला व्यक्ति भी सिविल जज की परीक्षा नहीं दे पाएगा। वहीं एक से अधिक  पत्नी रखने वाला व्यक्ति भी परीक्षा के लिए अयोग्य माना जाएगा।

एटीकेटी बनी समस्या
एलएलबी और बीएएलएलबी करने वाले उम्मीदवारों के अब अपनी पूरी डिग्री बिना एटीकेटी के देना होगी। उन्हें एलएलबी के छह और बीएएलएलबी के दस सेमेस्टर के एक भी पेपर में एटीकेटी आती है, तो वे भी सिविल जज की भर्ती परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे। भले ही उन्होंने 70 फीसदी अंक ही हासिल क्यों ना किए हों।

35 वर्ष तक रहेगी योग्यता
सिविल जज की पात्रता के लिए आयु सीमा न्यूनतम 21 वर्ष और अगले वर्ष जनवरी के पहले दिन 35 वर्ष की आयु पूरी नहीं की हो, जिसमें नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं।

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