गरियाबंद : चारागाह में सब्जी उत्पादन कर आत्मनिर्भर हो रहीं स्व-सहायता समूह की महिलाएं’
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध हो सके, इसके लिए ‘सुराजी ग्राम योजना‘ के अंतर्गत नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी योजना का बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिसके तहत गौठानों में ही आजीविका मूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। गरियाबंद जिले के फ़िंगेश्वर विकासखंड के ग्राम भेण्ड्री में जय माँ खल्लारी महिला स्व सहायता समूह द्वारा चारागाह का बेहतर उपयोग करते हुए उसमें सब्ज़ी का उत्पादन कर रही हैं। समूह की महिलाएं बाड़ी का कार्य कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ बनाने का कार्य कर रहीं हैं। साथ ही अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रहीं हैं। समूह के महिलाओं द्वारा अलग-अलग प्रकार की सब्ज़ी का उत्पादन किया जा रहा है। सब्ज़ी के अच्छे और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए समूह को कृषि और उद्यान विभाग द्वारा बीज प्रदान किया गया है। सब्ज़ी उत्पादन से समूह को 95 हजार रूपये से अधिक का लाभ प्राप्त हुआ है। समूह की सदस्य बताती हैं कि वे गौठान में विभिन्न गतिविधियों से जुड़कर कार्य कर रहीं हैं। वर्तमान में इस समूह में 11 सदस्य हैं। महिलाएं बताती हैं कि जब से हम यह कार्य कर रहे हैं तब से हमें अतिरिक्त आमदनी मिली है। जिससे हम आर्थिक रूप से सशक्त होकर घर-परिवार की ज़रूरतों को पूरा कर पा रहे हैं। उत्पादित होने वाले सब्ज़ी को महिलाएं चारागाह के समीप स्टाल लगाकर विक्रय करती हैं। समूह की महिलाएं कठोर परिश्रम कर अपनी व अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हुए बेहतर स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ रही हैं। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी और गोधन न्याय योजना लोगों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रही है। ग्रामीण परिवेश में निवासरत लोगों के लिए यह योजना आर्थिक उन्नति का माध्यम बनकर उभरा है। शासन के प्रयासों से गौठानों में ही आजीविका मूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। ताकि गांव के लोगों को गौठानों में ही रोजगार के नये अवसर मिलने के साथ उनको अतिरिक्त आय का जरिया भी प्राप्त हो सके।