नाटक श्मशान घाट के मंचन के दौरान जयपुर के प्रताप नगर हल्दीघाटी मार्ग श्मशान घाट पर यह घटना हुई। यह मोक्षधाम नगर निगम के क्षेत्राधिकार में आता है। बड़ा सवाल ये खड़ा हुआ है कि धार्मिक स्थल श्मशान घाट पर जहां लोग बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करते हैं, उस पवित्र स्थल पर इस तरह के नाच-गाने उचित हैं या अनुचित हैं ? क्या हमारा धर्म और संस्कृति इसकी इजाजत देते हैं ? सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि क्या यह सनातन और हिन्दू धर्म संस्कृति के साथ भद्दा मजाक है, उन परिजनों के दिलों पर क्या गुजरेगी जिनके अपनों की राख श्मशान घाट पर है, जहां मुन्नी बदनाम गाने पर डांस किया गया ?
प्रताप नगर मोक्षधाम में हुए नाटक के वीडियो वायरलपड़ताल में पता चला है कि वायरल वीडियो जयपुर के प्रताप नगर मोक्षधाम का है। तीन दिन पहले मंगलवार रात 8 बजे बाद कुछ आमंत्रित लोगों और महिला दर्शकों की मौजूदगी में थियेटर आर्टिस्टों ने ‘श्मशान घाट’ नाम का नाटक मंचन किया। स्थानीय लोगों और हिन्दू संगठनों ने इस दौरान बजे बॉलीवुड गानों और डांस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
वीएचपी महानगर अध्यक्ष बोले-आयोजक और कलाकारों पर मुकदमा दर्ज होविश्व हिन्दू परिषद के जयपुर में महानगर अध्यक्ष सांगानेर विभाग अर्जुन सिंह ने कहा-वीएचपी इस तरह की हरकतों का विरोध करती है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। हिन्दू धर्म और आस्था पर ठेस पहुंचाई गई है। क्या इस नाटक की परमिशन श्मशान घाट पर करने की परमिशन दी गई थी। नहीं दी तो कैसे आयोजन हुआ और दी गई थी तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। नगर निगम को इस नाटक के आयोजकों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। भविष्य में इस तरह की घटना ना हो इसका ख्याल रखा जाए। नाटक के आयोजक और कलाकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए। श्मशान घाट पर नाटक में फिल्मी डांस से आस्था आहतश्मशान घाट पर इस नाटक के तरीके ने कई गम्भीर सवाल खड़े कर दिए हैं कि दिनभर जहां अर्थियों को अग्नि देने के बाद जहां अस्थि विसर्जन की मटकियां रखी जाती हैं, उसी के सामने मंच सजाया गया। अंतिम संस्कार के लिए बने शेड के नीचे स्पीकर लगाए गए। मंच के सामने दर्शकों के लिए 150 कुर्सियां भी लगाई गईं। नाटक में जिन गानों पर डांस दिखाया गया, वो आमतौर पर पार्टियों में ही बजते हैं। दोनों ही गाने सलमान खान की फिल्मों से लिए गए, ‘मुन्नी बदनाम हुई’ और ‘दिल दीवाना बिन सजना के’। नाराजगी जताने वालों में ज्यादातर लोगों और वीएचपी कार्यकर्ताओं का तर्क है कि कला और कलाकारों का सम्मान तो हमेशा होता है लेकिन हमें किसी की धार्मिक आस्था, रीति-रिवाज, संस्कृति, श्रद्धा और आध्यात्मिक-सांस्कृतिक मूल्यों पर चोट नहीं करनी चाहिए। किसी की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए। यदि नाटक करना ही था तो कहीं नाटक या फिल्मी आर्टिफिशियल सेटअप लगाकर श्मशान घाट का सीन क्रिएट कर दूसरी जगह नाटक का मंचन और रिकॉर्डिंग की जाती। वास्तविक श्मशान घाट पर ऐसा करना गलत है। जिस श्मशान घाट में लोग मौत पर आंसू बहाते हैं, चिता सजाकर अग्नि दी जाती है, वहां तालियों की गड़गड़ाहट में ‘मुन्नी बदनाम हुई’ जैसे बॉलीवुड गानों पर डांस देखकर हर कोई हैरान है। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो पर लोग नाराजगी जताते हुए धार्मिक भावनाएं आहत होने जैसे कमेंट भी कर रहे हैं।
नाटक के निर्देशक और राइटर बोले-मकसद समाज की कुरीतियों को दूर करनानाटक के निर्देशक और राइटर जितेन्द्र शर्मा ने तर्क देते हुए कहा कि श्मशान भूमि पर रात के अंधेरे में पहली बार अनोखे तरीके से नाटक का मंचन किया गया है। नाटक का मकसद समाज की कुरीतियों को दूर करना है। इसके लिए मोक्षधाम से बेहतर कोई और प्लेटफॉर्म नहीं हो सकता था। नाटक का नाम ‘श्मशान घाट’ था। यह सत्य घटनाओं से प्रेरित है। हमें नाटक के जरिए संदेश देना था कि इंसान की जिंदगी बहुत छोटी होती है । लेकिन लोग अपनी जिंदगी को कुविचार और दुर्व्यसन के कारण छोटा कर लेते हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि लोग शुभ विचार अपनाएं और इंसानियत को आगे रखें। हमारा संदेश श्मशान से ही अच्छे से जा सकता था। ताकि लोग वहां आकर देखें, समझें और विषय के साथ कनेक्ट हो सकें। स्वामी विवेकानंद ने केवल 40 साल जीवन जिया, लेकिन अपने अच्छे विचारों से जिन्दगी को बहुत बड़ा बना दिया, हम इस नाटक से लोगों को यही मैसेज देना चाह रहे थे।