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मध्य प्रदेश

लहरी बाई का जुनून PM मोदी को पसंद आया, 25 से अधिक विलुप्त प्रजाति के बीज सहेजे

डिंडौरी

डिंडौरी जिले में मिलेट्स (मोटे अनाज) का बीज बैंक चलाने वाली लहरी बाई के देशभर में प्रशंसा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने भी लहरी बाई और उनके बीज बैंक की प्रशंसा की है। प्रधानमंत्री ने गुरुवार को ट्वीट कर लहरी बाई को लोगों की प्रेरणा बताया है।

PM ने एक वीडियो को रीट्वीट करते हुए लिखा- लहरी बाई पर गर्व है, जिन्होंने श्री अन्न के प्रति उल्लेखनीय उत्साह दिखाया है। उनके प्रयास कई अन्य लोगों को प्रेरित करेंगे। MP फिलहाल मिलेट्स उत्पादन में देश में दूसरे नंबर पर है। पहला नंबर है छत्तीसगढ़ का, लेकिन छत्तीसगढ़ की सीमा से ही लगा है MP का डिंडौरी जिला। ये जिला मिलेट्स उत्पादन में प्रदेश में पहले नंबर पर है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी गत दिनों यह कहकर कि डिंडौरी जिले में मोटे अनाज के प्रसंस्करण को लेकर पहले से ही कार्य चल रहा है। इन चर्चाओं को और बल मिला है। गौरतलब है कि लहरी बाई मोटे अनाज की विलुप्त होती प्रजाति को बचाने के लिए विगत एक दशक से कार्य कर रही हैं। बैगा महिला लहरी बाई ने अपने कच्चे आवास में ही मोटे अनाज की 25 से अधिक विलुप्त प्रजाति के बीज का बैंक तैयार किया है। लहरी बाई अपने गांव सहित आसपास के दो दर्जन से अधिक गांव के किसानों को अनाज के बदले यह बीज उपलब्ध कराती हैं। जिले में मोटे अनाज बोवनी का रकबा और बढ़ाने की तैयारी भी कलेक्टर ने तेज कर दी है। मुख्यमंत्री ने भी इसे विस्तार देने की बात कही है। लहरी बाई को कलेक्टर विकास मिश्रा ने गणतंत्र दिवस के समारोह में मुख्य अतिथि भी बनाया गया था। जिले में यह पहला अवसर था, जब किसी बैगा महिला को गणतंत्र दिवस के समारोह में मुख्य अतिथि बनाकर मंच पर बैठाया गया था।

बैंक में यह है विलुप्त प्रजाति के बीज

बैंक में तीन प्रकार के विलुप्त सलहार के बीज सहित इसी तरह बड़े कोदो, लदरी कोदो, डोंगर कुटकी, लाल डोंगर कुटकी, सिताही कुटकी, नागदावन कुटकी, लालमडिया, गोदपारी मडिया सहित अन्य बीज भी महिला के बीज बैंक में उपलब्ध है। यह अनाज अब वैगाचक क्षेत्र में दिखने लगा है। अपने आवास में मिट्टी की कोठी बनाकर बीज को संरक्षित रखा गया है।

लहरी बाई के पास विलुप्त हो रहे मोटे अनाज के 25 से अधिक प्रजाति के बीज है। लहरी बाई विगत 10 वर्ष से आसपास के 25 गांव के आदिवासी किसानों को अनाज के बदले यह बीज उपलब्ध कराती आ रही हैं। इस पहल से विलुप्त होती प्रजाति के अनाज अब भी लोगों के पास है।

लहरी बाई अनपढ़ हैं. लेकिन मोटे अनाज के संरक्षण के प्रति उनकी जागरुकता ग़जब की है. बीज बैंक बनाने की बात तो बड़े बड़े पढ़े लिखे लोगों और अफसरों तक के दिमाग में नहीं आयी. मिलेट क्राप्स का बीज बैंक बनाने के लिये लहरी बाई ने दस साल तक कई गाँव की ख़ाक छानी है. तब कहीं जाकर उसने क़रीब 25 प्रकार के मिलेट क्राप्स बीज का संग्रहण किया है. मिलेट क्राप्स मोटे अनाज वाली फसलों को कहा जाता है जिसमें ज्वार,बाजरा,कोदो,कुटकी,साँवा,रागी,कुट्टू और चीना आदि अनाज आते है. मिलेट क्राप्स को सुपरफूड भी कहा जाता है क्योंकि इनमे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.

कलेक्टर खुद पहुंचे झोपड़े में
लहरी बाई न सिर्फ अपने गांव बल्कि आसपास के दर्जनों गाँवों में घूम घूमकर लोगों को मिलेट क्रॉप्स के फ़ायदे बताती हैं. साथ ही उन्हें निशुल्क बीज भी मुहैया कराती हैं. मिलेट क्राप्स के संरक्षण और संवर्धन को लेकर लहरी बाई के प्रयासों की जानकारी जैसे ही डिंडोरी कलेक्टर विकास मिश्रा को लगी तो कलेक्टर साहब एक दिन अचानक लहरी बाई के घर पहुंच गये और उनसे बात की. फिर लहरी बाई को कलेक्ट्रेट में बुलाकर सभी अधिकारियों की मौजूदगी में सम्मानित कर उसका हौंसला बढ़ाया.

दो कमरे का झोपड़ा
लहरी बाई अपने बुजुर्ग माता पिता के साथ जिस दो कमरे वाले कच्चे मकान में जीवनयापन करती थीं. उन दो में से एक कमरे को उसने बीज बैंक बना लिया है. अब बचे हुए एक छोटे से कमरे में ही लहरी बाई अपने बुजुर्ग माता पिता के साथ रहती हैं. माता पिता की सेवा की ख़ातिर लहरी बाई ने अबतक शादी नहीं की है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान के लिये ग्राम पंचायत के कई चक्कर भी लगाए लेकिन पात्र होने के बाद भी उसे आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका. हालाँकि कलेक्टर विकास मिश्रा ने लहरी बाई को जल्द आवास योजना के तहत पक्का मकान देने का आश्वासन दिया है.

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