मध्य प्रदेश

 कूनो:पर्यटकों को फरवरी होंगे चीतों के दीदार, बाड़े से खुले में छोड़ा जाएगा

श्योपुर

 कूनो में फरवरी में टूरिस्ट चीते देखने जा सकेंगे। जनवरी के आखिरी या फरवरी के शुरुआत में 500 हेक्टेयर के बड़े बाड़े से चीतों को अब खुले में छोड़ा जाएगा। और फरवरी में टूरिज्म शुरू हो जाएगा। सीएम शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक सभी चीते स्वस्थ हैं और शिकार करने लगे हैं। चीता टूरिज्म डेवलप करने के लिए सरकार सहरिया आदिवासी परिवारों को होम स्टे चलाने की ट्रेनिंग दे रही है।

इसके लिए उन्हें हाइजीन कैसे मेंटेन करें और विदेशियों के लिए खाना कैसे बनाएं, ये सिखाया जा रहा हैं। उनके घरों में मरम्मत के अलावा स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। 4 सहरिया परिवारों की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है, छह और की ट्रेनिंग चल रही है। नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिसन (एनआरएलएम) और इकोटूरिज्म बोर्ड ने इन घरों को सिलेक्ट किया है।

पहले साल में 30 गाड़ियां आती थी, अब रोज 3-4

चीते आने के बाद कूनो आनेवाले टूरिस्ट की संख्या बढ़ी है। अहेरा और पील-बावड़ी सालभर में मुश्किल से 20-30 गाड़ियां आती थीं, सितंबर के बाद से हर दिन 3-4 गाड़ियां आती हैं। जबकि टिकटोली गेट से पिछले साल 1200 गाड़ियां आई थीं।

दो शिफ्ट में होगी सफारी, टाइगर सफारी की तरह ही होंगे नियम
चीता सफारी के लिए नियम कायदे टाइगर रिजर्व की तरह ही होंगे। कूनो के लिए भी टूरिस्ट ऑनलाइन बुकिंग कर पाएंगे। सुबह और शाम की शिफ्ट में सफारी होंगी। कूनो में 3 जोन हैं। अहेरा, पील-बावड़ी और टिकटोली। टिकटोली वो इलाका है जहां चीते हैं।

टिकटोली पिछले सीजन से ही टूरिस्ट के लिए बंद है। टिकटोली जोन में ट्रैक पुराना है, नई सफारी का रूट भी पुराना ही है, लेकिन चीतों के प्रोटेक्शन के लिए ट्रैक को रिपेयर किया गया है। तीनों जोन में 180 किमी का ट्रैक है। जहां चीता है, वहां 70-80 किमी का ट्रैक है। इसी पर टूरिस्ट जा सकेंगे।

विदेशी पर्यटकों के लिहाज से कूनो को किया जा रहा तैयार

विदेशी पर्यटकों के लिहाज से कूनो को तैयार करने के लिए इन दिनों वहां 60 गाइड्स को अंग्रेजी भी सिखाई जा रही है। विश्व में पहली बार जानवरों का इंटर कॉन्टिनेंटल ट्रांसलोकेशन हुआ है। डीएफओ कूनो प्रकाश वर्मा के मुताबिक चीते 50-100 स्क्वायर किमी के इलाके को अपनी टेरेटरी बनाते हैं। हम उसी मुताबिक टूरिज्म के लिए अपनी तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि सितंबर में नामीबिया से 8 चीते भारत आए थे। इनमें से पांच मादा और 3 नर हैं। सभी को पहले ही बड़े बाड़े में शिफ्ट कर दिया है।

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