advertisement
मध्य प्रदेश

चुनाव पद्धति की लड़ाई में, अब तक नहीं हुए कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव

भोपाल

उच्च शिक्षा विभाग प्रदेश के निजी और सरकारी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराना भूल गया है। जबकि विभाग को एकेडमिक कैलेंडर के मुताबिक अगस्त सितंबर में चुनाव कराना था। ये चुनाव कौन सी पद्धति से होंगे। इसे लेकर विवाद जरुर बना रहा। हालांकि राज्य का हरेक छात्र संगठन प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने की मांग कर रहा है। अभी तक उच्च शिक्षा विभाग अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराता आ रहा है।

उच्च शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के मुताबिक चुनाव अगस्त सितंबर में होना थे, लेकिन प्रवेश प्रक्रिया में विलंब होने के कारण चुनाव अक्टूबर में टाल दिए गए। विभाग ने चुनाव के लिये 15 दिन का कार्यक्रम तैयार किया था। इसके चलते सूबे के समस्त छात्र संगठन छात्रसंघ चुनाव प्रत्यक्षण प्रणाली से कराना चाहते हैं। उच्च शिक्षामंत्री डॉ. मोहन यादव भी अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने के लिए राजमंद नहीं थे। वे भी प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने को लेकर तैयार थे। इसी बीच नगरीय निकाय के चुनाव हुए। इसके चलते विभाग छात्रसंघ के चुनाव भूल गया। विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कराकर शासन तक को नहीं भेजा, जिसके चलते मुख्यमंत्री चुनाव की स्वीकृति दे पाते।

प्रत्यक्ष चुनाव
प्रत्यक्ष चुनाव में कालेज में पढ़ने में वाला कोई भी विद्यार्थी किसी भी पद के उम्मीदवारी कर सकता है। इसमें कालेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी सीधे अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट कर चुनते हैं। इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, सह सचिव और विवि प्रतिनिधि शामिल हैं।

अप्रत्यक्ष चुनाव
अप्रत्यक्ष चुनाव में कालेज में मेरिट हासिल करने वाले विद्यार्थी के हिसाब से पदों पर उम्मीदवारी होती है। इसमें विद्यार्थी के सभी सेमेस्टर पास होना अनिवार्य है। वे अपने कक्षा का प्रतिनिधि चुनते हैं। चयनित कक्षा प्रतिनिधि कालेज के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, सह सचिव और विवि प्रतिनिधि का चयन करते हैं। पिछले चुनाव में विवि प्रतिनिधि का पद समाप्त कर दिया गया था।

कॉलेजों में नहीं दिखता राजनीति का माहौल  
प्रत्यक्ष प्रणाली चुनाव से छात्र राजनीति के नये द्वार खुलते हैं। इसमें सही नेता का चयन होकर ऊपर आता है। छात्र राजनीति से निकलकर कई नेता राज्य में विधायक, मंत्री मुख्यमंत्री रह चुके हैं। चुनाव में हुए परिवर्तन से छात्र राजनीति खत्म हो गई है। कॉलेजों में राजनीति जैसा माहौल भी दिखना बंद हो गया है। पिछले अप्रत्यक्ष चुनावों में आए पदाधिकारियों ने कॉलेजों की मांगों को लेकर कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किए। कई जगह तो उन्हें विरोध प्रदर्शन और मांगों को लेकर जगहंसाई तक कराना पड़ी है।

advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button