मध्य प्रदेश

हानि वाले क्षेत्रों में सबसे पहले करें एबी केबलिंग और अंडरग्राउंड केबलिंग -केन्द्रीय विद्युत सचिव आलोक कुमार

भोपाल

केन्द्रीय विद्युत सचिव आलोक कुमार ने कहा कि देश के पावर सेक्टर में मध्यप्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। मध्यप्रदेश के पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर को हानि वाले क्षेत्रों में सबसे पहले एबी केबलिंग और अंडरग्राउंड केबलिंग  करना चाहिए। इसी कार्य के समानांतर स्मार्ट तथा प्रीपेड मीटरिंग का कार्य  भी हो। उन्होंने विद्युत क्षेत्र में आ रहे नवाचारों से अवगत कराने के लिए मंथन-2022 जैसे कार्यक्रम करने के लिए मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे की सराहना की।

केन्द्रीय विद्युत सचिव कुमार मध्यप्रदेश की समस्त विद्युत कंपनियों के अभियंताओं और कार्मिकों के जबलपुर में ‘आत्म-निरीक्षण’ पर केन्द्रित तीन दिवसीय ‘मंथन-2022’  के समापन कार्यक्रम में दिल्ली से वर्चुअली शामिल हुए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों को सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर एवं त्वरित सेवाएँ मिल सकें।

आरडीएसएस में 8700 करोड़ मीटरिंग पर होंगे व्यय

प्रदेश के प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे ने कहा कि भारत सरकार ने विद्युत वितरण के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने के लिए डिस्काम्स को परिणाम से जुड़ी वित्तीय सहायता प्रदान कर उनकी परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करने में मदद करने के लिए संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) को लागू किया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में इस योजना के लिए 24 हजार करोड़ रूपए प्रस्तावित हैं, जिसमें 8700 करोड़ रूपए मीटरिंग पर और 15 हजार 400 करोड़ रूपए अधो-संरचना की मजबूती के लिए व्यय किए जाएंगे। दुबे ने कहा कि इस योजना में सभी स्तर पर गुणवत्तापूर्ण कार्य करने की जिम्मेदारी शीर्ष से निचले स्तर तक तय कर ऑनलाइन मॉनीटरिंग की व्यवस्था की गई है। प्रमुख  सचिव ने कहा कि ब्लॉक स्तर तक प्रत्येक शासकीय कार्यालयों में स्मार्ट और प्रीपेड मीटर प्राथमिकता से लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि रेलवे एवं बैंकों की तरह पूरा स्टेट पावर सेक्टर पेपरलेस कार्य करने की मानसिकता बना ले।

नवकरणीय ऊर्जा भविष्य में प्रदेश के लिए होगी महत्वपूर्ण

ऊर्जा सचिव एवं एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध संचालक विवेक पोरवाल ने कहा कि नवकरणीय ऊर्जा भविष्य में प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी हो जाएगी। इस तथ्य को ध्यान में रख कर पावर मैनेजमेंट कंपनी में एक पृथक प्लानिंग सेल का गठन होना चाहिए।  उपभोक्ताओं को सोलर रूफटॉप स्थापित करने के लिए प्रेरित  करना चाहिए। पोरवाल ने कहा कि नवकरणीय ऊर्जा की अधिकता एवं उपलब्धता से उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कृषिक्षेत्र में बढ़ती बिजली की मांग एक चुनौती है। इस ओर विशेष ध्यान देना होगा।

विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर दिया महत्वपूर्ण प्रजेन्टेशन

सीईएससी के जनरल मैनेजर शांतनु सेन ने सब स्टेशनों के आधुनिकीकरण तथा मेंटेनेंस, पीडब्ल्यूसी के समबितोष मोहपात्रा ने पावर सेक्टर स्ट्रजी एवं विजन, टाटा पॉवर के सोमबुद्धा ने डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर में आईटी के महत्व, स्टीफन जे. ली ने एग्रीकल्चरल इलेक्ट्रिसिटी डिमांड  फोरकास्टिंग, एनएलडीसी के समीर सक्सेना ने पॉवर प्लानिंग, रिन्यू पॉवर के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट अभिषेक रंजन ने नकवरणीय ऊर्जा, ग्रिड और आईआईटी दिल्ली के अभिषेक मल्होत्रा ने ‘कुसुम-सोलर पम्प’ योजना पर विस्तार से प्रेजेन्टेशन दिया।

 

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