भारत के सांस्कृतिक पुनर्निर्माण में संस्कृत भाषा निभायेगी अग्रणी भूमिका – राज्य मंत्री परमार
भोपाल
स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि भारत के सांस्कृतिक पुनर्निर्माण में संस्कृत भाषा अग्रणी भूमिका निभायेगी। संस्कृत पुरातन काल से ही देश की सांस्कृतिक भाषा है और संस्कृत ही संस्कारों को जन्म देती है। परमार ठेंगड़ी भवन में "नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020" के आलोक में "प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन" को संबोधित कर रहे थे। राज्य मंत्री परमार ने कहा कि देश की आत्मा को वापस जगाने का काम संस्कृत से ही हो सकता है। समाज की आवश्यकता अनुरूप संस्कृत भाषा का सम्मान पुनर्स्थापित करने के लिए संस्कृत भारती के कार्यकर्ता साधक बनकर तपस्या कर रहे हैं, जो प्रशंसनीय है।
राज्य मंत्री परमार ने कहा कि प्रदेश भर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए शिक्षा विभाग दृढ़ संकल्पित हैं। परमार ने कहा कि मध्यप्रदेश ओपन बोर्ड के अंतर्गत प्रदेश में 53 सर्व-सुविधायुक्त स्कूल विकसित किए जा रहे हैं। इन विद्यालयों में पूर्व प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी के साथ-साथ संस्कृत भी पढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही आठवीं कक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पाठ्यक्रम रखा जायेगा। ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य होगा।
महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष भरत बैरागी ने संस्कृत कार्य में व्यक्ति और समाज की भूमिका पर व्याख्यान दिया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि हम अच्छे समाज का निर्माण करना चाहते हैं, तो संस्कार युक्त समाज का निर्माण करना होगा और उस समाज का निर्माण संस्कृत से ही संभव है।
संस्कृत भारती मध्य भारत प्रांत और महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला हुई। कार्यशाला में कुल 9 सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें संस्कृत भाषा को सर्व-व्यापी बनाने के उद्देश्य से चिंतन, मनन और कार्य-योजना का निर्माण किया गया। इस अवसर पर गुफा मंदिर लालघाटी के अध्यक्ष श्री रामप्रवेश दास जी महाराज, संस्कृत भारती मध्य क्षेत्र भोपाल के क्षेत्र संगठन मंत्री प्रमोद पंडित, प्रांत अध्यक्ष डॉ. अशोक भदौरिया और प्रांत मंत्री डॉ. दिवाकर शर्मा सहित बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे।