मंडी शुल्क के बिना ओड़िशा के गाड़ियों को बेरियर पार कराने का आरोप
धमतरी, । मंडी शुल्क जमा कराए बिना धान से भरी ओड़िशा के गाड़ियों को बेरियर पार कराने का आरोप है। इससे मंडी प्रशासन को हजारों के राजस्व का नुकसान होने लगा है। ऐसे में क्षेत्रवासियों ने मंडी के अधिकारी-कर्मचारियों की कार्यशैली पर संदेह करते हुए जांच करने की मांग की है, क्योंकि इन क्षेत्रों में जांच व मंडी शुल्क वसूलने के लिए बैरियर संचालित है।
नगरी मंडी का उप मंडी बोरई में संचालित है। यहां बोरई फारेस्ट बैरियर में मंडी का चेक पोस्ट बना हुआ है। चेकपोस्ट से होकर रोजाना नगरी, सिहावा और धमतरी के व्यापारियों के पास रोजाना कई गाड़ी धान व मक्का ओड़िशा होकर आती है। इन वाहनों से बैरियर के पास मंडी शुल्क लिये बगैर ही वहां तैनात कर्मचारियों द्वारा वाहन को पार कर दिया जाता है, यह खेल लंबे समय से जारी है। लोगों का आरोप है कि बैरियर में ड्यूटी करने वाले मंडी कर्मचारी व अधिकारियों के साथ ओड़िशा के व्यवसायियों का सांठगांठ है। प्रति वाहन लेनदेन कर बिना मंडी शुल्क लिए वाहन पार करा देते हैं, इससे मंडी प्रशासन को भारी नुकसन होने लगा है। जबकि कर्मचारी रुपये का लेनदेन का लाल हो रहे हैं। ऐसे में क्षेत्रवासियों ने इस पर जांच करने की मांग की है।
शुल्क नहीं मिलने से मंडी में पर्याप्त बजट नहीं
ओड़िशा से धान व मक्का भरकर नगरी, सिहावा और धमतरी आने वाली गाड़ियों से मंडी शुल्क नहीं लेने से नगरी मंडी के राजस्व में कमी आने लगा है। जबकि यह मंडी के लिए राजस्व का एक बड़ा माध्यम है। इस राशि से मंडी प्रबंधन अपने कर्मचारियों को वेतन प्रदान करते हैं। साथ ही बजट तैयार किया जाता है, लेकिन इन दिनों बोरई उप मंडी में मंडी मंडी अधिकारी-कर्मचारियों के संरक्षण में मंडी अधिनियम का पालन नहीं करने का आरोप है। पिछले दिनों बिरनासिल्ली फारेस्ट बैरियर चेक पोस्ट पर कई गाड़ियां बगैर मंडी शुल्क की मिली। वाहन चालक को पूछने पर पता चला कि व्यापारी मंडी बैरियर में बैठकर गाड़ियों को पार करा लेते है और मंडी के अधिकारी और कर्मचारी ही गाड़ी को जाने देते हैं। कई गाड़ी के चालकों ने पुराने दिनों के कागज दिखाया। उल्लेखनीय है कि धान खरीदी के समय मंडी को इस शुल्क से 70 से 80 लाख रुपये का टैक्स भी मिलता है। क्योंकि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के समय प्रत्येक गाड़ियों से मंडी शुल्क लिया जाता है, क्योंकि अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी प्रत्येक वाहनों की जांच करते हैं। ऐसे में मंडी शुल्क अनिवार्य रूप से जमा करते हैं।
वन विभाग का है बैरियर
इस संबंध में मंडी सचिव नगरी चुन्नीलाल धु्रव का कहना है कि बैरियर वन विभाग का है। यहां मंडी के कर्मचारी रेंडम जांच के लिए कुछ ही समय बैठता है, ऐसे में वे शुल्क नहीं लेते। जहां ओड़िशा के व्यवसायी धान की खरीदी-बिक्री करते हैं, वहां से मंडी शुल्क जमा करते हैं। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान तीन माह ही मंडी शुल्क मंडी द्वारा लिया जाता है।