रमन सिंह बोले- छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने पर धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाएगी बीजेपी
Raipur- छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने धर्मांतरण को लेकर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार में प्रदेश में जमकर धर्मांतरण हो रहा है। इसे सरकार रोकने में पूरी तरह से नाकाम है। कोई कदम उठाए नहीं जा रहे हैं। एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश में जब बीजेपी की सरकार सत्ता में आएगी तो हम धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाएंगे। इस पर तेजी से सख्ती बरतेंगे। बीजेपी प्रदेश कार्यालय एकात्म परिसर में रविवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में रमन ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि 1980 में कांग्रेस की सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम कानून बनाया था। यहा कानून लोकतंत्र विरोधी कानून है, जो कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है। यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा कानून न होकर यह कांग्रेस सुरक्षा कानून है, जो कांग्रेस को सुरक्षा देता है। इस कानून के तहत पुलिस किसी को भी एक साल के लिए बिना कारण बताए जेल में डाल सकती है, जमानत भी नहीं होगी। चाहे वह व्यक्ति राजनीतिक दल का कार्यकर्ता, मीडियाकर्मी हो या आंदोलन करने वाले कर्मचारी-अधिकारी हो। आरोप लगाया कि कांग्रेस ने एक बार फिर से आपातकाल लगाने की साजिश की है।
‘धर्मांतरण को बढ़ावा देने रच रहे साजिश’
रमन सिंह ने कहा कि सरकार ने धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए साजिश किया है। सरकार के सामने ऐसी क्या स्थिति आ गई कि ऐसा गंभीर कदम उठाना पड़ा। सवाल उठाते हुए कहा कि, क्या कानून व्यवस्था उनके नियंत्रण से बाहर हो चुका है?, क्या अपने दायित्वों को निभाने में सीएम भूपेश और सरकार असफल रही है?, पूरी तरह से आरोप लगाते हुए कहा कि तुष्टिकरण और धर्मांतरण के एजेंडे में कांग्रेस सरकार काम कर रही है। धर्मांतरण के पक्ष में अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है। मिशनरी के हाथों खेल रही है।
‘राज्य में अघोषित आपातकाल’
पूर्व सीएम ने कहा कि भूपेश सरकार राज्य में अघोषित आपातकाल लागू कर लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है। यह कानून बहुत पहले ही बना लिया था। अब सरकार का इससे काम नहीं चल पाया, तो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के बहाने आपातकाल जैसी अलोकतांत्रिक काम करने में लगे हुए हैं। रमन ने कहा कि उन्हें लगता है कि सीएम भूपेश से कुर्सी नहीं संभल रही है तो, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए, न कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को अधिसूचित करना चाहिए। वह प्रदेश में एक धर्म विशेष को फायदा पहुंचाने में लगे हुए हैं। वह इस कानून को लागू करने के लिए दिल्ली जाते हैं। सोनिया गांधी के दबाव पर आदिवासियों को कुचलने के लिए यह अधिनियम उनके साजिश का हिस्सा है।
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