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आरक्षण बिल विवाद: CM भूपेश ने कहा- BJP नेताओं के दबाव में राज्यपाल,30 को बुलाई कैबिनेट बैठक

आरक्षण को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। अब यह राजभवन बनाम कांग्रेस हो गया है। इसे लेकर अब कांग्रेस सड़क पर उतरने की तैयारी कर रही है। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर राज्यपाल, उनके विधिक सलाहकार और पूर्व सीएम रमन सिंह पर निशाना साधा।

छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक पर मामला शांत होते नहीं दिखाई दे रहा है। कांग्रेस सरकार और राज्यपाल के बीच चल रहे विवाद में भाजपा नेताओं की भी एंट्री होती रही है। अब पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के बयान ने सियासी पारा फिर चढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि, राज्यपाल भाजपा नेताओं के दबाव में हैं। राजभवन का विधिक सलाहकार एकात्म परिसर में बैठता है। उन्होंने रमन सिंह पर भी निशाना साधा। 

रमन सिंह के बयान पर भी साधा निशाना
दरअसल, मुख्यमंत्री मंगलवार को बेमेतरा के साजा विधानसभा में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के लिए रवाना हो रहे थे। इससे पहले उन्होंने पूर्व सीएम रमन सिंह के दिए बयान का जिक्र किया कि ‘मुख्यमंत्री की इच्छा से तैयार किए गए बिल पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं कर सकती’। इसे लेकर सीएम बघेल ने कहा कि, बिल विभाग तैयार करता है, कैबिनेट में प्रस्तुत होता है। फिर एडवाइजरी कमेटी के सामने जाता है, विधानसभा में चर्चा होती है। 

भाजपा के नेताओं ने राज्यपाल से हस्ताक्षर के लिए नहीं कहा
उन्होंने कहा कि, आरक्षण बिल के लिए सारी प्रक्रिया पूरी की गई। विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसमें सभी लोगों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, विपक्ष ने भी इसमें भाग लिया, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि रमन सिंह जैसे व्यक्ति जो 15 साल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे, वह ऐसी बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि, भाजपा के एक भी नेता ने राज्यपाल से नहीं कहा कि बिल पर हस्ताक्षर करें। 

राज्यपाल को बिल पर हस्ताक्षर ही नहीं करना
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि, ये जो विधिक सलाहकार है, कौन है। यह एकात्म परिसर में बैठते हैं। उन्होंने कहा कि, अफसरों के मना करने पर भी राज्यपाल के सवालों का जवाब दिया, लेकिन गड़बड़ी निकालेंगे। हम फिर भेजेंगे, फिर ऐसा करेंगे। कुल मिलाकर राज्यपाल को हस्ताक्षर नहीं करना है। उन्होंने कहा कि, नहीं करना है तो बिल वापस करें। उनके अधिकार क्षेत्र में है कि बिल उचित नहीं लगता है तो सरकार को वापस करें। 

राज्यपाल बहाना ढूंढ रहीं
सीएम ने कहा कि, राज्यपाल बिल को राष्ट्रपति को भेजें या फिर अनिश्चितकाल के लिए अपने पास रखें। वह अपने पास अनिश्चितकाल तक के लिए रखना चाहती हैं, लेकिन बहाना ढूंढ रही हैं। यह उचित नहीं है। बघेल ने कहा कि, जो विधानसभा छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी पंचायत है, जहां सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया गया है। ये विधिक सलाहकार जो एकात्म परिसर में बैठता है, वह विधानसभा से क्या बड़ा हो गया है।

CM भूपेश ने 30 को बुलाई कैबिनेट बैठक

छत्तीसगढ़ में संशोधित आरक्षण विधेयक को लेकर विवाद गरमाता जा रहा है। इसके चलते कांग्रेस सरकार और राजभवन के बीच भी टकराव की स्थिति बन गई है। इसे लेकर अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 30 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। इसमें राजभवन के रुख को लेकर चर्चा होगी। इसके अलावा विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर भी बात होगी। सत्र 2 जनवरी से शुरू होगा। 

उपाध्यक्ष चयन को लेकर भी होगी बैठक में चर्चा
विधानसभा का शीतकालीन सत्र दो जनवरी से  है। सत्र के दौरान उपाध्यक्ष चयन को लेकर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी। साथ ही सत्र के दौरान किए जाने वाले शासकीय कार्य पर भी चर्चा होगी। सत्र में लाए जाने वाले विधेयकों की सूचना अब तक नहीं आई है। अन्य विभागों के प्रस्तावों पर भी निर्णय लिए जाएंगे। उनसे कैबिनेट के प्रस्ताव 29 दिसंबर तक भेजने कहा गया है। 

राज्यपाल के पास अटका है आरक्षण विधेयक
दरअसल, आरक्षण संशोधन विधेयक के विधानसभा में पास हो जाने के बाद करीब 22 दिन बीत चुके हैं। तब से विधेयक राजभवन में राज्यपाल के हस्ताक्षर को लेकर अटका हुआ है। विधेयक पर संशय के चलते राजभवन से 10 सवाल भी सरकार से पूछे गए थे, इसके जवाब भी भेजे जा चुके हैं। तमाम जद्दोजहद और समय बीतने के बाद भी राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने से अब कांग्रेस सरकार से टकराव बढ़ने लगा है।

जवाब इसलिए दिया की ईगो सटिस्फाई हो जाए
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को यहां तक कह दिया था कि, सारे अधिकारी मेरी इस बात के विरोध में थे कि राज्यपाल ने जो 10 सवाल भेजे हैं उनका जवाब देना है। संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था है ही नहीं। फिर भी मैंने राज्यपाल की जिद को ध्यान में रखते हुए कि पौने तीन करोड़ जनता के लिए आरक्षण लागू हो जाए। उनको लाभ मिले, ये सोचकर जवाब भेजे। राज्यपाल का जो ईगो है, वह सटिसफाई हो जाए। 

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