राममंदिर निर्माण के साथ ही रामभक्तों की संख्या कई गुना बढ़ी है। रामलला का चढ़ावा भी बढ़कर पहले से तीन गुना हो गया है। हर रोज करीब 15 से 20 हजार भक्त रामलला के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं।
राममंदिर का प्रसाद भी अब देश-दुनिया में छाएगा, इसे जो एक बार चखेगा, बार-बार सिर-माथे लगाएगा। मंदिर के प्रसाद का अपना ब्रांड होगा, इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तैयारी शुरू कर दी है।
राममंदिर निर्माण के साथ ही रामभक्तों की संख्या कई गुना बढ़ी है। रामलला का चढ़ावा भी बढ़कर पहले से तीन गुना हो गया है। हर रोज करीब 15 से 20 हजार भक्त रामलला के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। ऐसे में भक्तों को रामलला के दरबार से ऐसा प्रसाद मिले जो कई दिनों तक खराब न हो इसपर फोकस किया जा रहा है।
मंदिर की ओर से प्रसाद की बिक्री से भक्तों को गुणवत्तायुक्त प्रसाद तो मिलेगा ही सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मुहैया होगा। ट्रस्ट भक्तों को प्रसाद के रूप में मेवा के लड्डू व पेड़ा देने पर विचार कर रहा है। प्रसाद बाजार के साथ ही अन्य देवालयों से अलग और खास होगा। इसमें सिर्फ मिठास ही नहीं, भक्ति का अहसास भी होगा।
मंदिर से ही दिया जाएगा प्रसाद
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, श्रद्धालुओं को प्रसाद चढ़ाने की अनुमति नही दी जाएगी। मंदिर से जो प्रसाद वितरित किया जाएगा वह ऐसा होगा जो कम से कम 15 दिन तक खराब न हो। क्योंकि दूसरे प्रांतों खास कर दक्षिण से आने वाले श्रद्धालु कई दिनों के बाद अपने घर वापस लौटेंगे। यह भी सुझाव आया कि लड्डू अथवा पेड़े का प्रसाद वितरित किया जाए। चंपत राय ने बताया कि सदस्यों के बीच चर्चा हुई कि अगर श्रद्धालुओं को प्रसाद चढ़ाने की छूट दी गई तो लाखों की भीड़ के दर्शन में बहुत ज्यादा समय लग जाएगा। चंपत राय ने बताया कि महाराष्ट्र की टीक लकड़ी से मंदिर के दरवाजे व खिड़कियों का निर्माण किया जा रहा है। इसकी कटिंग करके सुखाने का काम यांत्रिकी से किया जा रहा है। यह लकड़ी सबसे बेहतर मानी जाती है।