advertisement
धर्म-कर्मप्रदेश

पर्यावरण मंत्रालय ने झारखंड सरकार को लिखी चिट्ठी, कहा- जैन समुदाय की आपत्ति पर विचार करें

झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को वन महानिदेशक सीपी गोयल की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि जैन समुदाय के अभ्यावेदन में उल्लेख किया गया है कि पारसनाथ अभयारण्य जैन आध्यात्मिकता का गर्भगृह है।

जैन समाज के पवित्र तीर्थ स्थल सम्सेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाए जाने के फैसले पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन जारी है। जैन समुदाय के लोग झारखंड सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। इस बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हेमंत सोरेन सरकार को पत्र लिखा है। पत्र में सरकार से जैन समुदाय की आपत्ति पर विचार करने को कहा गया है। 

पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि उन्हें जैन समुदाय की ओर से कई अभ्यावेदन प्राप्त हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि पारसनाथ अभ्यारण्य के इर्द-गिर्द ईको-सेंसिटिव जोन की अधिसूचना में संशोधन कर ईको-टूरिज्म गतिविधियों को इससे बाहर रखा जाए। झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को वन महानिदेशक सीपी गोयल की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि जैन समुदाय के अभ्यावेदन में उल्लेख किया गया है कि पारसनाथ अभयारण्य जैन आध्यात्मिकता का गर्भगृह है। ऐसे में ईकोटूरिज्म गतिविधियों से संबंधित गतिविधियों के फैसले ने उनकी भावनाओं को आहत किया है।

बता दें, झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों पर स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ है। समुदाय के सदस्य पारसनाथ हिल्स में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के कदम का विरोध कर रहे हैं। जैन समुदाय के लोगों का कहना है कि सम्सेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र बनाए जाने से वहां मांस व शराब का भी सेवन किया जाएगा। जबकि, जैन समाज में ऐसे कार्य वर्जित हैं। 

advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button