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चीन में कोरोना की 3 लहरें आएंगी:अगले साल 10 लाख मौतों की आशंका; लोग फिर भी वैक्सीन से हिचकिचा रहे

चीन में सख्त प्रतिबंध खत्म होने के बाद एक बार फिर कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है। रविवार को यहां दो हजार मरीजों की पुष्टि हुई, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा। चूंकि सर्दियों में संक्रमण ज्यादा फैलेगा, इसलिए अगले साल 10 लाख मौतें होने की आशंका भी है।छुट्टियों में संक्रमण फैलने की संभावनादूसरी लहर लूनर ईयर सेलिब्रेशन के दौरान आएगी।दूसरी लहर लूनर ईयर सेलिब्रेशन के दौरान आएगी।एपिडिमियोलॉजिस्ट वू जुनयू ने BBC से बातचीत में बताया कि अभी चीन में संभावित तीन लहरों में से पहली लहर चल रही है। इसके बाद दूसरी लहर जनवरी माह के बीच आएगी। इस वक्त देश में एक हफ्ते का लूनर ईयर सेलिब्रेशन चलता है, जिससे लाखों लोग देश में आते-जाते हैं। ऐसे में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है।वहीं, तीसरी लहर फरवरी के आखिर से मार्च के बीच आ सकती है। इस समय सभी लोग अपनी छुट्टियां मानकर वापस लौटते हैं। ऐसे में ज्यादा लोग इन्फेक्शन रिपोर्ट कर सकते हैं।2023 में लाखों मौतों का अनुमानरिपोर्ट की मानें तो चीन में अप्रैल की शुरुआत में कोरोना मामलों का पीक आएगा।रिपोर्ट की मानें तो चीन में अप्रैल की शुरुआत में कोरोना मामलों का पीक आएगा।चीन में कोरोना से होने वाली मौतों के बारे में हाल ही में एक रिपोर्ट जारी हुई है। अमेरिका के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवेलुएशन’ (IHMI) ने अनुमान लगाया है कि 2023 तक चीन में कोरोना के कारण 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होगी। ये अनुमान चीन में कोविड प्रतिबंधों के खात्मे के बाद की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लगाए गए हैं।रिपोर्ट की मानें तो चीन में अप्रैल की शुरुआत में कोरोना मामलों का पीक आएगा। उस समय तक मौतों की संख्या 3 लाख 22 हजार तक पहुंचने की आशंका है। IHMI के डायरेक्टर क्रिस्टोफर मुर्रे के अनुसार अप्रैल तक चीन की एक तिहाई आबादी को कोरोना का संक्रमण हो चुका होगा।चीन में लोग वैक्सीनेशन से बच रहेचीन का कहना है कि 90% आबादी को वैक्सीन के सारे डोज लग चुके हैं।चीन का कहना है कि 90% आबादी को वैक्सीन के सारे डोज लग चुके हैं।चीन का कहना है कि उसकी 90% आबादी फुली वैक्सीनेटेड हैं। यानी इन्हें वैक्सीन के सारे डोज लग चुके हैं। मगर 80 साल की उम्र से ज्यादा के लगभग 50% लोगों का ही पूरा वैक्सीनेशन हुआ है। जबकि गंभीर इन्फेक्शन का सबसे ज्यादा डर इन्हें ही है।इसकी बड़ी वजह लोगों का वैक्सीन पर भरोसा न होना है। कुछ में इसके साइड इफेक्ट्स नजर आ रहे हैं, जो बाकी लोगों को खुराक लेने के लिए डिमोटिवेट करते हैं। ये खासकर बुजुर्गों में ज्यादा हो रहा है। ऐसे लोगों का कहना है कि वैक्सीन लेने के बजाय वायरस का सामना करना ज्यादा पसंद करेंगे। इसके अलावा सरकार ने भी वैक्सीनेशन कंपलसरी नहीं किया है।चीन में कोरोना से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…1. चीन में कोरोना से दस लाख मौत होने का अनुमान: अमेरिकी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में किया गया दावा, अप्रैल में आएगा पीकचीन में कोरोना से होने वाली मौतों के बारे में जारी हुई एक रिपोर्ट ने चीन की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अमेरिका के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवेलुएशन’ (IHMI) ने अनुमान लगाया है कि 2023 तक चीन में कोरोना के कारण 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होगी। 2. लॉकडाउन हटने के बाद चीन में कोरोना बढ़ा: डॉक्टर्स भी संक्रमित, सरकार बोली- ओमिक्रॉन खतरा नहीं इसलिए तो ढील दीचीन में जीरो-कोविड पॉलिसी के विरोध के बाद सरकार ने ढील दी और लॉकडाउन हटा दिया, लेकिन अब यहां स्थिति खराब होती नजर आ रही है। अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों का सैलाब आ गया है। इतना ही नहीं मेडिकल स्टाफ भी संक्रमित हो रहा है। कुछ डॉक्टर्स कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद मरीजों का इलाज कर रहे हैं।3. साइंटिस्ट का दावा- वुहान लैब से लीक हुआ कोरोना: अमेरिका ने चीन को वायरस बनाने का प्रोजेक्ट दिया, सुरक्षा में चूक हुई लगभग तीन साल पहले चीन के वुहान से फैला कोरोना वायरस लैब में बनाया गया था। यह दावा हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिक एंड्रू हफ ने अपनी किताब ‘द ट्रुथ अबाउट वुहान’ में किया है। उनका कहना है कि अमेरिकी सरकार चीन में कोरोना वायरस बनाने के प्रोजेक्ट को फंड कर रही थी। हफ इस लैब में काम भी कर चुके हैं

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