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बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बड़ी चुनौती, कैसे लाएं इसमें सुधार?

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर दें ध्यान –

मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं मौजूदा समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हैं। कोरोना महामारी के बाद से इसके मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। आश्चर्यजनक बात यह भी है कि बच्चों में भी इससे संबंधित कई विकारों का निदान किया जा रहा है। बच्चों के संपूर्ण विकास, सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए हर साल 20 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। मनोचिकित्सकों का कहना है, बच्चों में बढ़ती मनोरोग की समस्या बड़ी चिंता का कारण है। माता-पिता से लेकर शिक्षकों को भी इस विषय पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। बिना बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के स्वस्थ शरीर और संपूर्ण विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है।

इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी ने निश्चित तौर पर सभी उम्र के लोगों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को बढ़ा दिया है, पर इससे पहले भी यह बड़ी चुनौती रही है। देश में 5 करोड़ से अधिक बच्चे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित थे और उनमें से 80-90 फीसदी में या तो घरवालों को इस समस्या के बारे में पता नहीं चल पाया या फिर उन्होंने इसके लिए मनोचिकित्सकों की मदद नहीं ली।

यह निश्चित ही चिंताजनक है, इससे जीवन की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। आइए बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और उसके देखभाल के बारे में विशेषज्ञों से समझते हैं।

बच्चों में बढ़ते मनोरोगों की समस्या

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बच्चों में बढ़ते मनोरोगों की समस्या –

डब्ल्यूएचओ ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर दिया जोर

मानसिक स्वास्थ्य, हमारे एजेंडे में सबसे ऊपर है और फिलहाल सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। कोरोना महामारी ने इस दिशा में चुनौतियां और भी बढ़ा दी हैं, पर हम सभी को संगठित प्रयास के माध्यम से इसका मुकाबला करने की जरूरत है।

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों के मामलों में इस तरह की समस्याओं का निदान और इलाज कठिन हो जाता है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को दूसरी बीमारी मानकर उसका इलाज किया जाता रहा है।

बच्चों के व्यवहार पर दें ध्यान

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बच्चों के व्यवहार पर दें ध्यान –

क्या कहते हैं मनोरोग विशेषज्ञ?

अमर उजाला से बातचीत में मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की कड़ी माता-पिता और परिवार से शुरू होती है। हर माता-पिता को बच्चों के व्यवहार और भावनाओं के संप्रेषण पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है, अगर इसमें कुछ असामान्य लगे तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं में बच्चा उन गतिविधियों से दूरी बनाने लगता है जिन्हें करने में उसे पहले मज़ा आता था। बच्चा असामान्य रूप से शांत हो गया है या चिड़चिड़ा, डरा हुआ या अधिक गुस्सा कर रहा है और यह दिक्कत बढ़ती जा रही है, तो इसे शुरुआती संकेत के रूप में देखा जाना चाहिए। 

बच्चों के साथ समय बिताएं माता-पिता

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बच्चों के साथ समय बिताएं माता-पिता –

क्यों बढ़ रही हैं मानसिक स्वास्थ्य की दिक्कतें

डॉ सत्यकांत बताते हैं, बच्चों में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का एक कारण यह भी है कि माता-पिता अपनी दैनिक जीवन की व्यस्तताओं के चलते उनसे ज्यादा बात नहीं कर पाते, या फिर घर का माहौल ऐसा प्रतिकूल होता है जिसमें बच्चों के लिए अपनी परेशानियों को साझा कर पाना कठिन हो जाता है। ये स्थितियों मनोरोगों का कारण बन सकती हैं। बाल मन सहज होता है, उससे असहज व्यवहार करना समस्याओं को बढ़ाने वाला हो सकता है। बच्चों की अपने उम्र के साथियों से दूरी और मोबाइल से नजदीकी भी बड़ी चुनौती साबित हो रही है।

मानसिक स्वास्थ्य का रखें ख्याल

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मानसिक स्वास्थ्य का रखें ख्याल –

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का रखें ख्याल

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मानसिक स्वास्थ्य सभी उम्र के लोगों की प्राथमिकता है, बच्चों के मामले में इसपर और भी गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। उन्हें विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें, माता-पिता रोजाना बच्चों से बात करें, उनसे जानने की कोशिश करें कि उनके साथ या उनके आसपास क्या हो रहा है? मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रखने के लिए परिवार का माहौल ठीक रखें, अनावश्यक रूप से बच्चों को डांटने या मारने से बचें। बच्चे की प्रतिभा और क्षमताओं के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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