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छत्तीसगढ़बेमेतरा जिला

बेमेतरा  : उपजेल बेमेतरा में विधिक साक्षरता शिविर का हुआ आयोजन

बेमेतरा 24 अक्टूबर 2022 बंदियों  को दी प्ली-बारगेनिंग की जानकारी बेमेतरा 24 सितम्बर 2022जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) के पदेन अध्यक्ष जिला न्यायाधीश श्री जयदीप विजय निमोणकर के निर्देशन में श्रीमती जसविंदर कौर अजमानी मलिक, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बेमेतरा द्वारा जेल समीक्षा दिवस के अवसर पर उपजेल में उपस्थित बंदियों को प्ली-बारगेनिंग (सौदा अभिवाक) के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुयेे बताया कि यह संशोधन अधिनियम वर्ष 2005 में जोड़ा गया है, जिसके प्रावधान अनुसार 07 वर्ष तक की सजा वाले अपराध में यदि आरोपी चाहे तो प्रार्थी पक्ष के साथ न्यायालय के अनुमति से सौदा अभिवाक कर सकता है। इसके तहत आरोपी को न्यायालय में यह आवेदन व शपथ पत्र देना होता है कि उसने अपराध के दंड के प्रकृति को भलिभांति समझ लिया है और इसके पूर्व उसी अपराध में उसे किसी न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध नहीं किया गया है। आरोपी अभियोजन पक्ष और प्रार्थी को पारस्परिक संतोषप्रद निपटारे के लिये न्यायालय अवसर देती है। यदि पक्षकार के मध्य संतोषप्रद निपटारा हो जाता है।तब न्यायालय आरोपी को दंड के विषय पर उक्त अपराध के लिये उपबंधित दंड को ध्यान में रखते हुये अभियुक्त को परीविक्षा पर छोड़ सकता है, या फिर अपराध के न्यूनतम दंड के आधे दंड से दंडित कर सकता है या फिर निर्धारित दण्ड के एक चौथाई दण्ड से दंडित कर सकता है। शिविर के दौरान उपजेल अधीक्षक श्री बंजारे एवं उपजेल कर्मचारी, जेल प्रहरी व बंदीगण उपस्थित थे। को दी प्ली-बारगेनिंग की जानकारी बेमेतरा 24 सितम्बर 2022जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) के पदेन अध्यक्ष जिला न्यायाधीश श्री जयदीप विजय निमोणकर के निर्देशन में श्रीमती जसविंदर कौर अजमानी मलिक, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बेमेतरा द्वारा जेल समीक्षा दिवस के अवसर पर उपजेल में उपस्थित बंदियों को प्ली-बारगेनिंग (सौदा अभिवाक) के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुयेे बताया कि यह संशोधन अधिनियम वर्ष 2005 में जोड़ा गया है, जिसके प्रावधान अनुसार 07 वर्ष तक की सजा वाले अपराध में यदि आरोपी चाहे तो प्रार्थी पक्ष के साथ न्यायालय के अनुमति से सौदा अभिवाक कर सकता है। इसके तहत आरोपी को न्यायालय में यह आवेदन व शपथ पत्र देना होता है कि उसने अपराध के दंड के प्रकृति को भलिभांति समझ लिया है और इसके पूर्व उसी अपराध में उसे किसी न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध नहीं किया गया है। आरोपी अभियोजन पक्ष और प्रार्थी को पारस्परिक संतोषप्रद निपटारे के लिये न्यायालय अवसर देती है। यदि पक्षकार के मध्य संतोषप्रद निपटारा हो जाता है।तब न्यायालय आरोपी को दंड के विषय पर उक्त अपराध के लिये उपबंधित दंड को ध्यान में रखते हुये अभियुक्त को परीविक्षा पर छोड़ सकता है, या फिर अपराध के न्यूनतम दंड के आधे दंड से दंडित कर सकता है या फिर निर्धारित दण्ड के एक चौथाई दण्ड से दंडित कर सकता है। शिविर के दौरान उपजेल अधीक्षक श्री बंजारे एवं उपजेल कर्मचारी, जेल प्रहरी व बंदीगण उपस्थित थे।

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