राजनांदगांव : छुरिया महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक एस. कुमार गौर की संदिग्ध मौत से आखिर कब उठेगा पर्दा?
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राजनांदगांव। जिले के शासकीय रानी सूर्यमुखी देवी महाविद्यालय छुरिया में पदस्थ प्रोफेसर एस. कुमार गौर की संदिग्ध मौत डोंगरगांव के एक किराये के मकान में तीन माह पूर्व हुई थी। पीएम रिपोर्ट में संदिग्ध मौत का कारण कूलर में करेंट लगने से हुई है बताया गया, जबकि मृतक के परिजनों ने कूलर में कोई करेंट नहीं है तो करेंट से कैसे मौत हो सकती है? उनकी हत्या हुई है?
क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं प्रोफेसर एस. कुमार गौर 22 मई 2022 को डोंगरगांव पुराना बस स्टैंड के समीप एक किराये के मकान में रहते थे, लेकिन उनके साला के बार-बार कॉल करने पर कॉल नहीं उठाया गया। फिर दिनांक 23 मई दिन सोमवार को प्रोफेसर छुरिया कॉलेज नही पहुँचे तो छुरिया के कर्मचारियों द्वारा भी कॉल किया गया, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। फिर उनके साला ने भी छुरिया कॉलेज में फोन कर अपने जीजा की जानकारी ली, लेकिन वह कॉलेज नही पहुंचा था। फिर प्रोफेसर का साला डोंगरगांव किराये रूम पहुंचकर देखा तो उनका जीजा संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया और कमरे में खून फैला था। फिर तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दी। पुलिस द्वारा शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया जहां शाम हो जाने के कारण पोस्टमार्टम नहीं हुआ। फिर अगले दिन पोस्टमार्टम की जांच हेतु डोंगरगांव बीएमओ द्वारा जांच किया गया, जिसमें लाश विक्षिप्त होने के कारण फॉरेंसिक जांच हेतु शव को राजनांदगांव रिफर कर दिया गया। लेकिन आज तीन माह बीत जाने के बाद भी प्रोफेसर की मौत वास्तव में करेंट से हुई है या हत्या की गई है? प्रोफेसर की संदिग्ध मौत के पीछे तो सवाल बहुत है? लेकिन ये साबित करने में डोंगरगांव पुलिस अबतक नाकाम साबित हुई है। डोंगरगांव थाना प्रभारी ने कहा प्रोफेसर की मौत कूलर में करेंट लगने से हुई है? मृतक के पिता और परिजनों ने कहा कि कूलर में कोई करेंट नही था?
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जांच से संतुष्ट नहीं, पुनः जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार अध्यक्ष को लिखा पत्र
वास्तव में एक प्रोफेसर की संदिग्ध मौत बहुत सारे सवाल खड़ा कर रही है? एक तरफ पुलिस का कहना है कि प्रोफेसर एस. कुमार गौर की मौत करेंट से हुई है, क्योंकि कूलर चालू था, लेकिन दूसरी तरफ प्रोफेसर के परिजन और पिता का कहना है कि कूलर में कोई करेंट नहीं था और आज भी करेंट नहीं है तो कैसे मौत हो सकती है? और प्रोफेसर के पिता ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि मौत के बाद कमरे को किसी भी तरह का सील नहीं किया गया। साथ ही काल डिटेल, मोबाइल पर्स जैसे कीमती चीजों की जांच नहीं किया गया। जिससे सच्चाई सबके सामने आ सके। साथ ही प्रोफेसर के पिता ने यह भी आरोप लगाया है कि पूर्णतः जांच किये बगैर कमरे को दो दिन बाद ही खाली करा दिया गया। साथ ही कमरे से पुलिस द्वारा लाश को उठाया गया तो परिवार के कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था और पंचनामा तैयार कर पोस्टमार्टम के लिए मरच्यूरी में रखवा दिया गया। इस तरह का आरोप प्रोफेसर के पिता बिसाल राम गौर ने पुलिस पर लगाया है और प्रशासन से गुहार लगाया है कि उनके बेटे प्रोफेसर एस. कुमार गौर की पुनः निष्पक्ष जांच किया जाय।