राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों की पहले राउंड की गिनती में द्रौपदी मुर्मू को 748 में से 540 वोट मिले थे। इसके अलावा यशवंत सिन्हा को 208 मत हासिल हुए थे। कुल 748 मत पहले राउंड में वैध पाए गए थे।
द्रोपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर ली है। इसी के साथ वो देश की पहली आदिवासी महिला बन गईं हैं। राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार थीं। आदिवासी होने की वजह से और कई पार्टियों ने उनका समर्थन किया था। आइये उनके जीवन और राजनीतिक करियर के बारे में कुछ अहम बातें जान लेते हैं।
झारखंड की नौवीं राज्यपाल बनी थीं
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह एक आदिवासी जातीय समूह संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। ओडिशा के आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू झारखंड की नौवीं राज्यपाल बनी थीं। राज्यपाल बनने से पहले वह बीजेपी की सदस्य रही हैं। यही नहीं द्रौपदी मुर्मू साल 2000 में गठन के बाद से पांच साल का कार्यकाल (2015-2021) पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल हैं।
ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहीं। इसके अलावा 6 अगस्त, 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं। मुर्मू 2013 से 2015 तक भगवा पार्टी की एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी थीं। उन्होंने 1997 में एक पार्षद के रूप में चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उसी वर्ष, उन्हें भाजपा के एसटी मोर्चा का राज्य उपाध्यक्ष चुना गया।
द्रौपदी मुर्मू का व्यक्तिगत जीवन
द्रौपदी मुर्मू के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उनकी शादी श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। उनके दो बेटे और एक बेटी है। मुर्मू का जीवन व्यक्तिगत त्रासदियों से भरा रहा है। उन्होंने अपने पति और दोनों बेटों को खो दिया है। वहीं, उनकी बेटी इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम से हुई है।