छत्तीसगढ़ के शिक्षक और स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के बीच विवाद की लकीर खींच चुकी है। मामला इस कदर बिगड़ा है कि शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास पहुंच गई है। छत्तीसगढ़ के शिक्षक अपनी बात पर अड़े हैं और प्रमुख शिक्षा सचिव की बातों से बेहद नाराज हैं।
सारा बखेड़ा एक शब्द की वजह से खड़ा हुआ है। दरअसल हाल ही में एक डिजिटल बैठक के दौरान ऑनलाइन जुड़े स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला ने स्कूली शिक्षकों के कामकाज का आंकलन करते हुए निकम्मा शब्द का इस्तेमाल कर दिया। इसके बाद शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध किया।
यह है पूरा मामला
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है यह वीडियो राज्य स्तरीय बैठक का बताया जा रहा है, जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आईएएस अधिकारी आलोक शुक्ला प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने पर बात कर रहे थे।
टीचर्स के प्रमोशन और बच्चों की पढ़ाई के स्तर को बेहतर करने की बात कहते हुए आईएएस आलोक शुक्ला ने कहा- जिस शिक्षक के 80% बच्चे फेल हो रहे हैं उसे अयोग्य घोषित किया जाए। उसके सर्विस बुक में लिखा जाए कि यह अयोग्य व्यक्ति है, 10 साल तक इसे कोई प्रमोशन और पुरस्कार नहीं देना चाहिए। कुछ तो हो…आपका काम बच्चों को पढ़ाना है। अगर आप अपने मूल कार्य में अक्षम है तो आप अयोग्य है।
शुक्ला ने आगे कहा – चलो मैंने मान लिया कि आप बड़ी मेहनत करके पढ़ाई करा रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है। इसका मतलब आप अयोग्य हैं, ऐसे व्यक्ति को क्यों प्रमोशन दिया जाए । क्या करना चाहिए वेतन वृद्धि रोकी जाए ? चेतावनी दी जाए ? क्या करें ? मुझे नहीं मालूम क्या करना चाहिए ? आप लोग बताइए क्या करना है? आपको मैं टास्क दे रहा हूं कि आप लोग मिलकर के एक रिपोर्ट डॉक्यूमेंट बनाएं और मुझे भेजें शिक्षकों की काम का आकलन कैसे होगा इसकी जानकारी मुझे दें?
IAS ने कहा- कौन से शिक्षक को संतोषजनक माना जाएगा, किस को निकम्मा माना जाएगा, किसको अत्यंत अच्छा माना जाएगा उसका क्या आधार होगा? बच्चों की उपलब्धि क्या है यही देखकर शिक्षकों की श्रेणी तय होगी। सब आते रहते हैं मेरे पास कि मुझे मेरे घर के पास पोस्टिंग दे दो.. पोस्टिंग कोई पुरस्कार और कोई सजा नहीं है ! ऐसा करें क्या कि जिसकी श्रेणी घ मिल रही है घर से 500 किलोमीटर दूर पोस्टिंग दी जाए और जिसको श्रेणी क प्लस मिल रही है घर के पास दिया जाए ऐसा कर सकते हैं। किसी तरह की पनिशमेंट किसी तरह का पुरस्कार तो तय होना चाहिए।

अब मुख्यमंत्री से शिकायत
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शिक्षक संजय शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया कि शिविर लगाना पढ़ाई तुंहर द्वार, खिलौना बनाना, गूगल फार्म भरना, जिलों में अलग-अलग मीटिंग अटेंड करना, हेलमेट बांटना जैसे अलग-अलग 77 कार्य शिक्षक से करवाए जाते हैं। जिनका पढ़ाई से कोई लेना देना नहीं है। हमने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से फरियाद की है कि- गैर शैक्षणिक कार्य से शिक्षको को मुक्त रखा जावे।
प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला की शिकायत करते हुए शिक्षकों के लिए निकम्मा कहने पर आपत्ति दर्ज करते हुए शिक्षा गुणवत्ता के लिए विभागीय अधिकारियों, बच्चों , पालकों, वित्तीय व्यवस्था सब को जिम्मेदार माना है। प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने पूछा कि उत्कृष्ट शिक्षा पर शिक्षकों को क्या वित्तीय लाभ मिला,? फिर निम्न शिक्षा पर सजा कैसे,? शिक्षको के लिए निकम्मा शब्द निंदनीय है। राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की शिक्षा को सराहना पर शिक्षकों को कोई लाभ नही दिया गया, तब अधिकारियों ने वाहवाही लूटी, अब निम्न स्तरीय शिक्षा पर सजा की बात विभाग कैसे कर सकता है,?