राजस्व प्रकरणों में अब नहीं चलेगी मनमानी
छत्तीसगढ़ में जाति, मूल निवास व आय प्रमाण पत्र के साथ जमीन का नामांतरण सहित राजस्व जुड़े मामलों में अब पटवारी और तहसीलदार मनमानी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि राजस्व से जुड़े आवेदनों की मानिटरिंग अब सीधे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही विभागीय मंत्री, मुख्य सचिव, विभागीय सचिव के साथ सभी कलेक्टर करेंगे। सरकार ने इसके लिए आनलाइन पोर्टल शुरू किया है। ऐसे में राजस्व अफसरों को लोक सेवा गारंटी योजना में तय समय-सीमा में आवेदनों का निराकरण करना होगा। ऐसा नहीं करने पर उन्हें आनलाइन ही विलंब की वजह लिखित में बतानी पड़ेगी।
अफसरों केअनुसार इस व्यवस्था में हर एक आवेदन की मानिटरिंग आसानी से होगी। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के अनुसार पोर्टल से राजस्व के प्रकरणों के निराकरण में सुविधा होगी। इससे लोगों को राहत मिलेगी। पोर्टल के माध्यम से प्रकरणों का समय पर निराकरण हो, इसके लिए मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, मुख्य सचिव और विभागीय सचिव के साथ सभी जिला कलेक्टर मानिटरिंग कर सकेंगे। राजस्व विभाग के अफसरों ने बताया कि भुइयां साफ्टवेयर के माध्यम से ही आनलाइन मानिटरिंग के लिए पोर्टल बनाया गया है।
प्रदेश के विभिन्न राजस्व न्यायालयों में करीब डेढ़ लाख मामले पेंडिंग पड़े हैं। इनमें से कई मामले का निर्धारित समय सीमा के बीत जाने के बाद भी निराकरण नहीं हो पाया है। रायपुर जिले में सर्वाधिक करीब 17 हजार मामले लंबित हैं। दुर्ग और महासमुंद जिला में यह आंकड़ा लगभग नौ- नौ हजार है। वहीं, बलौदाबाजार, रायगढ़, जांजगीर, सरगुजा व कोरिया में आठ-आठ हजार प्रकरण विचाराधीन हैं।
लोक सेवा गारंटी में निर्धारित समय सीमा
– चालू खसरा/खतौनी/नक्शा की प्रतिलिपि- 15 दिन
– किसान पुस्तिका- 15 दिन
– किसान पुस्तिका डुप्लीकेट- 90 दिन
– अस्थाई जाति प्रमाण पत्र- 30 दिन
– स्थाई जाति प्रमाण पत्र- 30 दिन
– निवास प्रमाण पत्र- 30 दिन
– आय प्रमाण पत्र- 30 दिन
– भूमि सीमांकन- तीन माह
– अविवादित नामांतरण- तीन माह