वर्षावास समापन समारोह
राजनांदगांव/ शांतिनगर करूणा बुद्ध विहार में आषाढ़ पूर्णिमा से प्रारंभ तीन माह के वर्षावास कार्यक्रम के पश्चात अश्विन पूर्णिमा पर वर्षावास समापन समारोह का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में मुख्य धम्मदेशक के रूप में बौद्ध धम्मगुरू पूज्य भदंत धम्मतप जी ने उपस्थित बौद्ध उपासक-उपासिकाओं को धम्म दीक्षा दिवस व अश्विन पूर्णिमा के महत्व को समझाते हुए दैनिक जीवन में तनावपूर्ण स्थिति व स्वयं की वजह से जाने-अनजाने में हो जाने वाले अकुशल कर्मों से मुक्त होने के लिए उपोसत का मार्ग बताया । उन्होनें बताया कि जीवन में बदलाव लाने के लिए सभी मानव प्राणियों को उपोसत जैसी प्रक्रिया को उपनाना चाहिए जिसमें स्वयं के माध्यम से स्वयं को व अन्य किसी भी मानव प्राणी या जीव-जन्तुओं को जाने-अनजाने में अपने शरीर, मन व वाणी से किये गये दोषकर्म से पहुंचाए गए कष्ट से मुक्त होने या अशंात मन शांत करने के लिए उपोसत अर्थात् क्षमा याचना या तथागत गौतम बुद्ध जी के द्वारा दिये गए पांच शीलों व उनके बताए हुए मार्ग पर एक घंटे, एक दिन, एक सप्ताह या एक साल तक रोजाना या निरंतर चलते रहने का प्रयास करने से ही मानव जीवन सफल व दु:खमुक्त हो सकता है या सरल शब्दों में यह कह सकते हैं कि, उपोसत से भी जीवन में बड़ा व सकारात्मक बदलाव आता है । जिसे प्रत्येक मानव प्राणियों को अपने अशांत मन को शांत करने के लिए समय-समय पर उपोसत करते रहना चाहिए । कार्यक्रम का आयोजन बौद्ध सेवा समिति व रमाआई महिला मण्डल करूणा बुद्ध विहार शांतिनगर के तत्वावधान में किया गया जिसमें समिति के अध्यक्ष संदीप कोल्हाटकर, अनुपमा श्रीवास व राजकुमार उके, कंचना मेश्राम, सुनिता ईलमकार, संगीता मेश्राम, पूनम कोल्हाटकर, संजय हुमने, दयानंद रामटेके, किशोर भीमटे, महेश शेण्डे, सागर हुमने, बसंत कोल्हाटकर, अनिल अंबादे, सुभाष मेश्राम, ललिता उके, अनिता रामटेके, सरोज वैदे, रोशन शेण्डे, कुंजेश श्रीवास, भाग्यश्री कोल्हाटकर, अरूणा हुमने, दुर्गा गजभिये, सीमा भीमटे, रोशनी शेण्डे, तरूणा सुखदेवे, पुष्पलता श्यामकुंवर, आकांक्षा श्यामकुंवर सहित बड़ी संख्या में उपासक-उपासिकाएं उपस्थित थे ।

0 3 1 minute read