उत्तराखंड में पैदा होने वाला बच्चा भी कर्जदार है। राज्य के हर व्यक्ति पर तकरीबन 66 हजार रुपये से ज्यादा कर्ज है। कोरोना की मार से कराहते हुए गुजरे वित्तीय वर्ष 2020-21 में 31 मार्च, 2021 तक राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़कर 73,478 करोड़ हो चुका है। चालू वित्तीय वर्ष खत्म होने, यानी 31 मार्च 2022 तक कर्ज की यह राशि बढ़कर 85486 करोड़ होने जा रही है। लाचारगी देखिए, कर्ज ली जा रही राशि का बड़ा हिस्सा कर्ज और उसका ब्याज चुकाने पर खर्च हो रहा है। 2020-21 में ब्याज की यह राशि 5475 करोड़ हो चुकी है।
कर्ज लेकर गैर विकास मदों पर लुट रहा घी
राज्य की हालत उस दरिद्र व्यक्ति सरीखी हो गई है, जिसने ऋण यह सोचकर लिया कि घी पीकर सेहत बनाएगा और फिर आमदनी बढ़ाएगा। हालत उलट हो गए। विकास कार्यों के लिए ली जाने वाली रकम अब तक गैर विकास मदों पर खूब खर्च हुई। आगे भी यही सिलसिला बदस्तूर जारी है। कर्ज का ये घी उत्तराखंड की सेहत तो नहीं बना सका, अलबत्ता आम जन की खुशहाली की उम्मीदों पर गैर जरूरी खर्चों ने कब्जा जमा लिया है। विकास कार्यों के लिए केंद्र पर बढ़ती निर्भरता की बड़ी वजह यह भी है।
जीएसडीपी का 31 फीसद हुआ कर्ज
कर्ज के भंवर में फंस चुके राज्य के सामने विकास कार्यों से ज्यादा धनराशि कर्ज और ब्याज चुकाने पर खर्च करने की नौबत है। राज्य का कर्ज उसके सालाना बजट आकार से ज्यादा भारी-भरकम हो चुका है। कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 25 फीसद तक कर्ज रहने की राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम की सीमा को भी यह 2019-20 में ही लांघ चुका है। अब यह 31 फीसद से ज्यादा हो चुका है। राज्य की आमदनी की तुलना में ये हालत भयावह है।
आमदनी ढाई गुना, कर्ज का ब्याज साढ़े तीन गुना
वित्तीय वर्ष 2010-11 में राज्य की कर राजस्व के रूप में कुल आमदनी 4405 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 10791 करोड़ पहुुंची है। यह वृद्धि तकरीबन 2.45 यानी ढाई गुना है। वहीं कर्ज के ब्याज के भुगतान की रफ्तार 3.46 गुना बढ़ी है। 2010-11 में यह सिर्फ 1480 करोड़ थी। 2020-21 में ब्याज की यह देनदारी 5475 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। विकास के मोर्चे पर राज्य को पैसे-पैसे को तरसना पड़ सकता है।
हर साल ऋण और ब्याज के देने होंगे 4922 करोड़ रुपये
कैग की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य को अगले तीन वित्तीय वर्षों यानी 2022-23 तक बाजार ऋण का 4141.52 करोड़ और ब्याज का 8535.33 करोड़ यानी कुल 14676.85 करोड़ चुकाना होगा। अगले दो वर्षों 2024.25 तक कर्ज के मूल धन में से 4900 करोड़ और ब्याज के 4922.24 करोड़ रुपये देने होंगे। सीधे तौर पर कहें तो ऋण और ब्याज के रूप में अगले पांच वर्षों 2024-25 तक सालाना 4499.82 करोड़ रुपये का भुगतान राज्य को करना है। जाहिर है कि राज्य को ऋण देनदारी पूरी करने के लिए ज्यादा उधार लेना पड़ेगा।