भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने ब्रिटिश सरकार द्वारा कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता नहीं देने के निर्णय को भेदभावपूर्ण बताया है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि विवाद का हल निकल जाएगा। यदि ब्रिटेन नहीं माना तो उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
श्रृंगला ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को यूके के नए विदेश सचिव के सामने मजबूती के साथ उठाया है। मुझे बताया गया है कि इस मुद्दे के हल के लिए ब्रिटिश सरकार ने आश्वासन दिया है। बता दें, कोरोना वायरस रोधी टीके कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका ने विकसित किया है। इसे भारत के सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार किया जा रहा है। यह टीका बड़ी तादाद में ब्रिटेन भी भेजा गया है। अब वह इसे मान्यता नहीं दे रहा है।
विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा कि यह भारत के जवाबी कार्रवाई के अधिकार के दायरे में आता है। कोविशील्ड की गैर-मान्यता एक भेदभावपूर्ण नीति है और यूके की यात्रा करने वाले हमारे नागरिकों को प्रभावित करती है। कुछ आश्वासन दिए गए हैं कि इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा।
दोनों खुराक के बाद भी 10 दिन का क्वारंटीन अनिवार्य
बता दें, ब्रिटेन ने कोविड-19 नियमों में बदलाव करते हुए कोविशील्ड की दोनों खुराक के बावजूद ब्रिटेन पहुंचने वालों के लिए 10 दिन का क्वारंटीन अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ ही 72 घंटे पहले की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट भी अनिवार्य की गई है। अनिवार्य क्वारंटीन के नियम पर भारत ने सख्त आपत्ति जताई है। ब्रिटिश सरकार पर इन नियमों पर पुनर्विचार को दबाव डाला जा रहा है।
भारत में ज्यादातर को लगा कोविशील्ड
देश में अधिकांश लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन ही लगा है। यह ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का ही भारतीय संस्करण है। देश में इसे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है। इसके बाद भी ब्रिटेन का इसे मान्य टीकों की सूची से बाहन रखना हैरान करने वाला है।
भारतीय विद्यार्थियों ने भी ली आपत्ति
ब्रिटेन में नेशनल इंडियन स्टूडेंट एंड एलुमनाई यूनियन (एआईएसएयू) की अध्यक्ष सनम अरोड़ा का कहना है कि भारतीय छात्र इस बात से परेशान हैं। उन्हें लगता है कि यह एक भेदभावपूर्ण कदम है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ के उनके समकक्षों की तुलना में उनके साथ अलग व्यवहार किया जा रहा है।