राजनांदगांव। कोरोना संक्रमण कम होते ही ट्रेनों का परिचालन तो शुरु हो गया है। लेकिन यात्रियों को किसी भी प्रकार की सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। संक्रमण के बाद से मासिक सीजन टिकट(एमएसटी) बनना भी बंद हो गया है। जिसके चलते दैनिक यात्रियों को हर माह रेल में सफर करने के लिए तीन से चार हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। रेलवे लोकल ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन के नाम से चला रहा है। लेकिन किराया एक्सप्रेस ट्रेनों की तरह लिया जा रहा है।
पहले यात्रियों को दुर्ग-भिलाई तक 10, रायपुर तक 20 रुपये खर्च करने पड़ते थे। जबकि अब दैनिक यात्रियों को दुर्ग तक सफर के लिए 30 और रायुपर तक सफर के लिए 50 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। यात्री लंबे समय से एमएसटी सुविधा को पुनःबहाल करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन विभागीय अफसर इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं प्लेटफार्म टिकट का दर भी राजनांदगांव स्टेशन व रायपुर में अलग-अलग है। रायपुर में प्लेटफार्म टिकट 30 रुपये तो राजनांदगांव में प्लेटफार्म टिकट की कीमत 50 रुपये हैं।
रोजना 150 से 200 दैनिक यात्री करते हैं सफरः कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रकोप कम होने के बाद रेलवे 70 फीसद ट्रेनों का संचालन भले ही शुरु कर दिया है। लेकिन दैनिक यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। दैनिक यात्रियों, सीनियर सिटीजनों को रेलवे की सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। लोकल ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन बनाकर दौड़ा जा रहा है। स्पेशल के नाम पर यात्रियों से 40 से 50 रुपये लिए जा रहे हैं। वहीं पहले लोकल ट्रेनों की टिकट 10 से 20 रुपये था, जो यात्री एमएसटी पर दो सौ से तीन सौ रुपये में पूरे महीने के बदले 60 से 100 रुपये आने-जाने में खर्च करने पड़ रहे हैं।
बसों में सफर करने मजबूर दैनिक श्रमिकों को स्पेशल ट्रेनों में रिजर्वेशन करवाकर सफर करना पड़ रहा है। रिजर्वेशन न मिलने की सूरत में यात्री रोडवेज बस एवं अन्य निजी वाहनों से सफर करने को मजबूर हैं। लाकडाउन के पहले राजनांदगांव से रोजाना 150 से 200 यात्री एमएसटी पर सफर करते थे। एमएसटी धारक महीने भर में कितनी भी यात्रा एक्सप्रेस ट्रेन के जनरल कोच में कर सकते थे। लेकिन यह सुविधा अब पूरी तरह से बंद है।