क्या कोरोना अब बच्चों और युवाओं की बीमारी बनकर सामने आने वाली है?
देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर को लेकर अनुमान है कि बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित होंगे। ब्रिटेन और अमेरिका कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से जूझ रहे हैं। ब्रिटेन में बच्चों और किशोरों में संक्रमण के मामले बढ़े हैं।
अमेरिका में बच्चों को टीका लगने के बाद भी वायरस अपनी चपेट में ले रहा है। सवाल ये है कि क्या कोरोना अब बच्चों और युवाओं की बीमारी बनकर सामने आने वाली है।
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के ग्लोबल पब्लिक हेल्थ के प्रमुख प्रो. देवी श्रीधर बताते हैं कि अमेरिका में 12 से 15 वर्ष के 25 फीसदी बच्चों को टीका लग गया है। इस्राइल, इटली और फ्रांस भी इस उम्र के बच्चों को टीका लगा रहा है।
बच्चों, किशोरों और युवाओं को वायरस जिस तरह से अपनी चपेट में ले रहा है उसे देख ये कहा जा सकता है कि इस वर्ग के लोगों में कोरोना का संक्रमण दुनिया के लिए नया खतरा होगा। लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ के कारण दुनिया के युवाओं का जीवन प्रभावित होगा।
ब्रिटेन में बच्चों को टीका नहीं
ब्रिटेन में बच्चों को टीका नहीं लग रहा है। वहां देखा जा रहा कि बच्चों में संक्रमण होने पर उनमें क्या हो रहा है। नतीजतन बच्चों व किशोरों में संक्रमण बढ़ गया है। अमेरिका का कहना है कि बच्चों में संक्रमण से लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं।
परीक्षण का सटीक नतीजा होने पर ही टीका
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में 12 से 18 वर्ष के बच्चों की संख्या करीब दस करोड़ है। परीक्षण में टीके का सटीक नतीजा नहीं आता है तब तक बच्चों को टीका लगाना सही नहीं है। भारत बायोटेक की कोवाक्सिन व जायडस कैडिला की वैक्सीन को जल्द ही बच्चों को लगाने की अनुमति मिल सकती है।
टीकाकरण बड़ी चुनौती
बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. विजयनाथ मिश्रा बताते हैं कि कुछ देशों में 12 से ज्यादा उम्र के बच्चों को टीका लग रहा है। उम्मीद है कि भारत में भी जल्द ही ऐसे बच्चों को टीका लगने लगेगा। दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती 12 से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण की है।
बच्चों में एमआईएस सबसे बड़ी चुनौती
लखनऊ के लोहिया संस्थान की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका पांडे बताती हैं कि बच्चों में कोरोना से लंबे समय तक तकलीफ बड़ी चुनौती है। मल्टी इन्फलैमेट्री सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन (एमआईएससी) के कारण बच्चों को हृदय, किडनी, रक्त वाहिका और फेफड़ों संबंधी तकलीफ से गुजरना पड़ रहा है। कैंसर समेत अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों के लिए ये वायरस अभिशाप है।