सुकमा. लॉकडाउन की खबरों के बीच छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर इलाके से एक अच्छी खबर सामने आई है. आजादी के 70 साल बाद पहली बार सुकमा के नक्स्ल प्रभावित गोलापल्ली गांव सरकारी बिजली से रोशन हुआ है. यहां अब तक बिजली नहीं आई थी. नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण यहां ना तो बिजली आई थी और ना ही बुनियादी सुविधाएं, लेकिन मंत्री कवासी लखमा की पहल ने गांव को रोशन कर दिया है. बिजली आते ही लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ गई और गांव का अंधकार दूर हो गया.
सुकमा का घोर नक्सल प्रभावित इलाका गोलापल्ली जहां पहुंचना भी मुश्किल है. आजादी के वर्षों बाद भी यहां पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. यहां तक कि बिजली भी नहीं पहुंची थी. अब जाकर सरकार ने ‘अंधकार’ मिटाने के प्रयास शुरू किए. प्रदेश के मंत्री कवासी लखमा ने इस गांव तक बिजली पहुंचाने की पहल की. इसको लेकर प्रदेश सरकार और तेलंगाना सरकार से लगातार बातचीत के बाद आखिरकार गोलापल्ली गांव बिजली से रोशन हो गया है. यहां पर आसपास दर्जनों गांव है, जहां बिजली नहीं पहुंची है.प्रदेश के अंतिम छोर पर बसा गांव मरईगुड़ा को रोशन करने के लिए तेलंगाना से बिजली ली गई. तेलंगाना की सीमा पर स्थित गांव में बिजली है, लेकिन छत्तीसगढ़ का मरईगुड़ा अब तक अंधेरे में था. इसलिए तेलंगाना सरकार से बिजली लेकर इस गांव को रोशन किया गया. इसी तरह गोलापल्ली में बिजली पहुंचाने के लिए प्रदेश के मंत्री कवासी लखमा ने तेलंगाना सरकार से बातचीत की और मदद मांगी, जिसका नतीजा हुआ कि गांव में बिजली पहुंच गई.गोलापल्ली वो इलाका है जहां सामान्य दिनों में पहुंच पाना काफी मुश्किल है. यह नक्सल प्रभावित इलाका है और यहां अक्सर नक्सली गतिविधियों की खबरें आती रहती हैं. ऐसे में पुलिस-प्रशासन के लिए इस गांव तक बिजली पहुंचाना, चुनौती भरा था. इसलिए जवानों की सुरक्षा में बिजली पहुंचाने का काम किया गया. कोंटा के जनपद अध्यक्ष सुन्नम नागेश ने बताया कि आजादी के बाद पहली बार गोलापल्ली में बिजली पहुंची है. उन्होंने इसके लिए मंत्री कवासी लखमा का आभार जताया.