राजनांदगांव । कोरोना के कारण दो वर्ष (दो शिक्षा सत्र) से औपचारिक पढ़ाई कर रहे सरकारी स्कूलों के बच्चों को क्रियात्मक गतिविधियों से जोड़ने शिक्षा विभाग ने एक अच्छी कार्ययोजना तैयार की है। अपने जेब से टीवी खरीदकर आनलाइन क्लास चलाने वाले शिक्षाधिकारी व शिक्षक अब एक-एक स्कूलों को गोद लेंगे। उन स्कूलों को शैक्षणिक ही नहीं बल्कि अन्य गतिविधियों में भी अग्रणी कर आदर्श स्कूल के रूप में स्थापित करेंगे। प्रदेश में राजनांदगांव इकलौता जिला होगा जो शिक्षा के साथ स्कूली बच्चों को सद्व्यवहार, स्वच्छता के साथ महान हस्तियों के प्रेरणादायी व्यक्तित्व को किताब ही नहीं बल्कि व्यवहार में भी लाने की कवायद करने जा रहा है। मुख्य उद्देश्य बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ ही उनमें छिपी बहुआयामी प्रतिभा को भी निखारना है। इसमें जनसहभागिता के साथ ही जनसहयोग भी लिया जाएगा।
ब्लाक शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य व संकुल समन्वयक पहले एक-एक स्कूलों को गोद लेंगे। इसके लिए ब्लाकों से प्रस्ताव मांगा गया है। स्कूलों को गोद लेने के बाद प्रिंट रिच वातावरण, 100 दिन 100 कहानी, कबाड़ से जुगाड़ जैसी गतिविधियों से जोड़कर बच्चों को बहुआयामी प्रतिभा से सज्जित करेंगे। महापुरूषों की गाथाएं सुनाकर प्रेरित किया जाएगा। कोरोना काल में गुड्डू के बोल, आमा राइट, मोहल्ला क्लास के माध्यम से पढ़ाई तो कराई ही जा रही है। इस मुहिम से बच्चों को विविध ज्ञानवर्धक गतिविधियों से भी जोड़ने की योजना है। माडल स्कूलों में पौधारोपण, पोषण उद्यान, स्वच्छता, पेयजल व अन्य सुविधाआं को भी अनिवार्य महत्व दिया जाना है।
बच्चों को पढ़ाई से जोड़ना बड़ी चुनौती- कोरोना संक्रमण के चलते बच्चे पढ़ाई से दूर हो गए हैं। बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने शिक्षा विभाग द्वारा कई अभियान चलाया जा रहा है। नये शिक्षा सत्र में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने व बोर्ड परीक्षा में बेहतर परीक्षा परिणाम को लेकर अफसर अभी से गंभीर हो गए हैं। जिले में प्राथमिक, माध्यमिक हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी की कुल 2959 सरकारी स्कूल संचालित हो रही है। संक्रमणकाल में बच्चों को पढ़ाई से जोड़ने विभागीय अफसरों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। हालांकि मोहल्ला क्लास, पढ़ाई तुहंर दुआर व अन्य माध्यम से बच्चों को पढ़ाई से जोड़ा जा रहा है। स्कूलों को गोद लेने के बाद संकुल समन्वयकों व प्राचायों को परीक्षा परिणाम में सुधार लाना बड़ी चुनौती होगी।