० जांच केन्द्रों में सीमित मात्रा में दिए जा रहे हैं किट
० जांच के नाम पर की जा रही महज़ खानापूर्ति, अधिक जांच कराने पर अब नही दिया जा रहा जोर
० किट खत्म हो जाने का बहाना बनाकर, समय सीमा के पूर्व ही रोक दी जाती है जांच
राजनांदगांव। हिन्दू युवा मँच जिला इकाई ने जिला प्रशासन द्वारा कोविड जाँच में लगातार की जा रही कटौती की शिकायत प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से ज्ञापन के माध्यम से शिकायत की है। अपनी शिकायत में हिन्दू युवा मंच ने कहा कि, जांच केन्द्रों में जान-बुझकर सीमित मात्रा में दिए जा रहे हैं। जांच के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। पखवाड़े भर से किट न होने का रोना रोकर जाँच में कंजूसी की जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा कोरोना पर अंकुश लगाने कागजों में सफलता का दिखावा करने का हथकंडा अपनाया जा रहा है। पहले की तरह अब अधिक जांच कराने पर जोर भी नहीं दिया जा रहा है। किट खत्म हो जाने का बहाना बनाकर, समय सीमा के पूर्व ही जांच रोक दी जा रही है। सिर्फ कागजों में ही अधिक जांच करने का दिखावा किया जा रहा है। जाँच कम होगी तो मरीजों के आंकड़े में कमी आना स्वाभाविक है। तत्सम्बन्ध स्वास्थ्य मंत्री से इसके निराकरण करने और जाँच में कसावट लाने की माँग हिन्दू युवा मँच ने की है।
उक्ताशय की जानकारी देते हुए हिन्दू युवा मँच के जिलाध्यक्ष किशोर माहेश्वरी ने बताया कि, कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जिला मुख्यालय राजनांदगाँव में आरटीपीसीआर, रैपिट एन्टीजन और टू नॉट टेस्ट के लिए कई जाँच केंद्र बनाए गए हैं। पिछले कुछ दिनों से उक्त जाँच केंद्रों में समय-सीमा के पहले ही किट खत्म हो जाने का रोना रोकर जनसमान्य को बैरंग लौटाया जा रहा है। इस प्रकार से विगत पखवाड़े भर से कोविड जांच में लगातार कंजूसी और कटौती की जा रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि, उन्हीं जाँच केंद्रों में अगली सुबह 11 बजे फिर किट के स्टॉक मिल जाते हैं। कोविड जांच का समय प्रातः 10 बजे से संध्या 5 बजे तक निर्धारित किया गया है। जाँच दल उक्त केंद्रों में 11 बजे तक पहुँचता है। कभी दोपहर को ही समय सीमा के पूर्व ही किट खत्म होने का बहाना बनाकर लोगों को आधे में ही लौटा दिया जाता है। मोतीपुर, शंकरपुर, लखोली और ऑडिटोरियम केन्द्र में जांच दल से पूछने पर बताया गया कि, प्रत्येक जाँच केन्द्र में गिनती के किट दिए जाते हैं। किट का टोटा बताकर कहीं 100 किट तो कहीं 200 की सँख्या जान-बुझकर कम और सीमित किट दिए जा रहे हैं। जबकि प्रशासन द्वारा अधिक से अधिक जाँच करने का झूठा दिखावा किया जा रहा है। जब टेस्ट ही कम संख्या में होंगे तो स्वाभाविक है कि, कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा भी कम ही आएगा। ताकि लोगों को यह लगे कि कोरोना पर अंकुश लगाने में जिला प्रशासन सफल हो गई है। जबकि वास्तविकता कुछ और ही है। कागजों में कोरोना संक्रमितों की संख्या कम दिखाने और कोरोना पर नियंत्रण और विजय पा लेने का दिखावा करने के लिए ही यह सारा खेल रचा जा रहा है। एक ओर जांच तो प्रभावित हो ही रही है, वहीं दूसरी ओर जनसामान्य में गहरी निराशा भी छाई है। प्रशासन एक ओर कोरोना पर नियंत्रण करने की बात कहता है तो वहीं दूसरी ओर किट की पर्याप्त आपूर्ति न कर जाँच में अवरोध खड़ा कर रहा है। इस प्रकार की लापरवाही उल्टे शासन पर ही भारी पड़ सकती है। इससे पहले तो चिकित्सा अधिकारियों द्वारा ज्यादा से ज्यादा कोविड जाँच कराने की अपील के तहत लगातार बयान आ रहे थे, और अधिक जाँच कराने पर बल दिया जा रहा था। अचानक इनके बयान आना भी बँद हो गए हैं।
कोरोना संक्रमण की जांच के लिए जिला मुख्यालय में बनाये गए केन्द्रों में आरटीपीसीआर, रैपिट एन्टीजन और टू नॉट टेस्ट के किये जा रहे थे, लेकिन विगत पखवाड़े भर से जांच पूरी तरह प्रभावित है। जांच दल द्वारा किट न होने का बहाना बनाकर अन्य टेस्ट को एकदम से बँद कर दिया गया है। केवल मात्र रैपिड एन्टीजन की जाँच की जा रही है। कोई भी जागरूक व्यक्ति केवल मात्र एक ही जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होता। जिस प्रकार किसी भी व्यक्ति की दो तरह की जांच की जाती थी और रैपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट तत्काल मिल जाती थी और आरटीपीसीआर की रिपोर्ट दो या तीन दिन बाद मिल जाया करती थी। एक रिपोर्ट से संतुष्ट न हुए तो दूसरी रिपोर्ट से संतुष्टि मिल जाया करती थी। लेकिन शासन की खराब नीतियों के चलते जनसमान्य को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
जागरूकता के अभाव में और टालने की इंसानी प्रवित्ति के कारण लोग आज भी टेस्ट नहीं कराना चाहते। उस पर इस तरह के अड़ंगे को देखते हुए कई लोग तो जांच कराने जाएँगे ही नहीं। इस तरह से जांच में गिरावट आनी शुरू हो जाएगी। अगर व्यक्ति संक्रमित रहा भी तो नजर अंदाज करते रहने से बीमारी दिनों दिन बढ़ती चली जायेगी। पता भी नहीं चलेगा कि बीमारी घर कर गई है, और पीड़ित की मौत भी हो जाएगी। इसके समाधान के लिए हमारा सुझाव है कि, इंजीजेन रैपिड टेस्ट और आरटीपीसीआर टेस्ट दोनों ही पूर्व की भांति अनवरत कराया जाए। ताकि पूरे प्रदेशवासियों को आर्थिक बोझ से राहत मिल सके। हिन्दू युवा मँच ने एंटीजन रैपिड टेस्ट और आरटीपीसीआर टेस्ट पूर्व की भांति अनवरत रूप से जारी रखने की माँग की है।