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छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव : साहित्यिक रंग- मिलन कार्यक्रम में याद किए गए महाकवि कालिदास

काव्य रंग में पढ़ी गई हास्य – व्यंग्य, श्रृंगार ,रौद्र रस की कविताएं

कविताओं के उड़े रंग – गुलाल,,,,
महा-मुर्खाधिराज सम्मान से सम्मानित हुए  कवि शशिकांत द्विवेदी

राजनांदगांव | छत्तीसगढ़ साहित्य समिति द्वारा 1 अप्रैल को दाऊ मंदराजी जयंती अवसर पर कन्हारपुरी में रंग-मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम  के मुख्य अतिथि जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष सचिन बघेल जी थे अध्यक्षता जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष एवं ओजस्वी कवि शशिकात द्विवेदी ने की वहीं। विशेष अतिथि के रुप में भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ प्रभारी राजेश गुप्ता अग्रहरि जी व कला साहित्य अनुरागी- राकेश ठाकुर इंदू  भूषण ठाकुर उपस्थिति रहे। सबसे पहले अतिथियों ने दाऊ मंदराजी की प्रतिमा में माल्यार्पण यक्ष व दीप प्रज्ज्वलन कर उनकी कलाधर्मिता को नमन किया और उन्हें नाचा रंग धर्म के लिए सर्वस्व त्यागी पुरुष बताते हुए दाऊ जी को सदैव कलाकार के दिल में जिंदा रहने की बात कही गई। इस अवसर पर लोक गायक महादेव हिरवानी ने दाऊ मंदराजी पर रचित आत्माराम कोशा “अमात्य” द्वारा रचित फिल्म मंदराजी के गीत – बबा मंदराजी,, लोक कला नाचा के सियान गा,, गाकर कृतज्ञांजलि दी। हारमोनियम पर संगत चतुर सिंह बजरंग व तबले पर संगत लोक कलाकार गणेश निषाद द्वारा की गई।
महाकवि कालिदास का स्मरण
कन्हारपुरी के मंदराजी मंच में आयोजित इस रंग- मिलन कार्यक्रम में आयोजन की व्यंजना पर प्रकाश डालते हुए साहित्य समिति के अध्यक्ष व वरिष्ठ कवि साहित्यकार आत्माराम कोशा “अमात्य” ने बताया कि सम्राट विक्रमादित्य के दरबार में नव – रत्न रहे महाकवि कालिदास पहले महामुर्ख थे जो जिस डाल पर खड़े थे उसी को काटने कुल्हाड़ी चला रहे थे। बाद में विद्वानों  की संगत में आ कर ,”सठ  सुधरत , सत संगत पाई”,, की तरह मां काली की उपासना कर महाकवि कालिदास कहलाए। महाकवि कालिदास को याद करते हुए उपस्थिथ कवि / साहित्यकारों ने इस दौरान हास्य-व्यंग्य सहित विभिन्न रसोद्रेक पूरित कविताओं के जमकर रंग- गुलाल उड़ाए और रंग – मिलन के आनंद में भीग कर देर तक ओत- प्रोत होते रहे।
0 महा मुर्खाधिराज सम्मान
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, व राज्य अलंकरण ठा० प्यारेलाल सिंह सहकारिता सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ एवं ओजवान कवि शशिकांत द्विवेदी ने “मैं बस्तर हुं” कविता का गान कर लोगों  को आह्लादित व आनंदित किया। उन्होंने अपनी कविता में भगवान श्री राम के बनवास काल के रामवनगमन पथ के रक्सा हाड़ा, गिद्ध राज जटायु का स्थान गीदम आदि एक-एक स्थानों का उल्लेख कर उपस्थितो में श्री राम भक्ति का धारा प्रवाहित की। उनकी इस आह्लादकारी कविता के लिए कवि समाज द्वारा उन्हें राज पगड़ी पहनाकर महा- मुर्खाधिराज सम्मान से सम्मानित किया गया। इसी तरह रंग -मिलन कार्यक्रम  की अध्यक्षता कर रहे प्रो० कृष्ण कुमार द्विवेदी को ताज पगड़ी पहनाकर मुर्खाधिपति सम्मान से नवाजा गया। इस अवसर पर अपनी कविता गाड़ा- गाड़ा जोहार के माध्यम से कार्यक्रम में रंग भरने वाले वरिष्ठ कवि साहित्यकांर आत्माराम कोशा “अमात्य” को कवि समाज द्वारा पगड़ी व चमकीला हार पहना कर उन्हें मुर्खांनंद सम्मान से सम्मानित किया गया वहीं पुरखा के सुरता करने वाले कवि ओमप्रकाश साहू “अंकुर” को मुर्खराज सम्मान से,,मैं छत्तीसगढ़िया तांव वाले कवि लखन लाल साहू “लहर” को तीस मार खां सम्मान व गोरी को  रंगने वाले कवि मानसिह “मौलिक” को तोप चंद सम्मान,ग्रामीण परिवेश का गान करने वाले कवि हिपेद्र साहू को टेप चंद, कवि पवन यादव “पहुना” को मुर्खरु सम्मान, आनंद राम सार्वा को
अलकरहा सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का रंगमयी व रसमयी संचालन कर रहे हास्य-व्यंग्य के कवि वीरेंद्र तिवारी “वीरु” को महामुर्ख सम्मान व कवि थंगेश्वर साहू को फन्ने खां सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर साहित्य कला अनुरागी राकेश इंदू भूषण ठाकुर ने सभी कवि/ साहित्यकारों को हुलियारी टोपी व रंग-बिरंगी हार पहना कर  सम्मान देते हुए उन्हें मुर्ख दिवस के बधाई और शुभकामनाएं दी।इस अवसर पर राम प्रवेश जी पार्षद प्रतिनिधि युवराज ढीरहेर, सीताराम श्रीवास्,गुमान साहू सहदेव दीवान सहित बड़ी संख्या में काव्य रसी श्रोता उपस्थित रहे। उक्ताशय की जानकारी साहित्य समिति के सचिव मानसिंह मौलिक द्वारा दी गई।

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