हम सब माया के अधीन होकर घूमते रहते हैं
गायत्री शक्तिपीठ में श्रीमद् देवी भागवत कथा
राजनांदगांव । गायत्री शक्तिपीठ में माहेश्वरी समाज द्वारा आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के छठवें दिन शास्त्री श्री ईश्वर चंद जी व्यास ने कहा कि जो अपने मन को जीत लेता है, वही बलवान होता है। सभी व्यक्ति काम, क्रोध, मध, लोभ से घिरे हुए हैं और इसको जीतने के लिए हमें अपने मन को जितना होगा। उन्होंने कहा कि जो चीज अनायास मिलती है वह अनायास ही चले जाती है। जीवन हमें अनायास मिला है और यह अनायास ही चला जाएगा। धन हमें अनायास मिलता है और यह अनायास ही चला जाता है, इसलिए अनायास मिली चीज का सदुपयोग करना चाहिए।
शास्त्री जी ने आज व्यास पीठ से कहा कि धन की तीन अवस्था होती है पहला दान , दूसरा भोग और तीसरा नाश। उन्होंने कहा कि यदि धन मिला है तो दान करना भी सीखें अन्यथा उसका भोग करना होगा, नहीं तो धन का नाश हो जाएगा और वह किसी उपयोग में नहीं आएगा। काम, क्रोध, मध , लोभ यह सब मिटते नहीं है। दरअसल हम सब माया के अधीन है और माया के अधीन रहकर ही हम जीवन जीते हैं।काम, क्रोध, मध , लोभ को मिटाने के लिए हमें निरंतर साधनारत रहना होगा, हमें सात्विक प्रवृत्ति में लगे रहना होगा।
शास्त्री जी ने कहा कि देवों में कोई भेद नहीं होता। हम एक देव की साधना कर रहे हैं तो करते रहें किंतु दूसरे देव का विरोध ना करें अन्यथा दोनों ही देव नाराज हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि जीव को यदि ज्ञान मिल जाता है तो उसका भ्रमण मिट जाता है और वह मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।
माहेश्वरी समाज के अध्यक्ष पवन डागा ने बताया कि कथा के सप्तम दिवस शनिवार 5 अप्रैल को अपराह्न 3:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक शास्त्री श्री ईश्वर चंद जी व्यास द्वारा पांच प्रकृति की कथा सुनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि अष्टम दिवस 6 अप्रैल को कथा सुबह होगी तथा पूर्वान्ह 11:00 बजे पूर्णाहूति एवं महाप्रसादी का आयोजन किया गया है तथा सात अप्रैल सोमवार को अपराह्न 3:00 बजे गायत्री शक्तिपीठ से विसर्जन यात्रा निकलेगी।