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छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव : वास्तविक गुरु/महापुरुष की पहिचान – सुश्री धामेश्वरी देवी

राजनांदगांव | जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रमुख प्रचारिका सुश्री धामेश्वरी देवीजी द्वारा स्टेट हाई स्कूल मैदान राजनांदगांव, में चल रही 15 दिवसीय आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला के ग्यारहवें दिन बताया कि किसी महापुरुष को पहिचानने में एक बात का प्रमुख दृष्टिकोण रखना चाहिए कि किसी से सुनकर किसी को महापुरुष न माने अपितु स्वयं देखभाल कर एवं समझकर उसे स्वीकार करना चाहिए, अपितु एवं समझकर उसे स्वीकार करना चाहिए। 

महापुरुष के पहिचानने में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

किसी महापुरुष को पहिचानने में उसकी बहिरंग वेशभूषा को न देखना चाहिये। कोट पतलून में भी महापुरुष हो सकते हैं एवं रंगीन वस्त्रों में भी कालनेमि मिल सकते हैं। पुनः हमारे इतिहास से भी स्पष्ट है कि 90 प्रतिशत महापुरुष गृहस्थों में हुए हैं जिनके कपड़े रँगे नहीं थे।

एक बात का और दृष्टिकोण रखना चाहिये कि महापुरुष संसारी वस्तु नहीं दिया करता, यह गम्भीरतया विचारणीय है। महापुरुष क्या, भगवान् भी कर्म विधान के विपरीत किसी को संसार नहीं देते। उनके भी नियम हैं। 

महापुरुष सिद्धियों का चमत्कार नहीं दिखाया करता। चमत्कार को नमस्कार करना ठीक नहीं, अपितु चमत्कारियों को दूर से नमस्कार करना ठीक है, अन्यथा अपना लक्ष्य खो बैठोगे।

महापुरुष मिथ्या आशीर्वाद नहीं देता एवं शाप भी नहीं देता। हाँ, इतना अवश्य है कि मंगलकामना सम्पूर्ण विश्व के लिये रहती है क्योंकि वह पूर्ण-काम हो चुका है। 

महापुरुषों को पहिचानने का प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि महापुरुष के दर्शन, सत्संगादि से ईश्वर में स्वाभाविक रूप से मन लगने लगता है। किन्तु, वह मन लगना सबका पृथक् पृथक् दर्जे का होता है। इसी प्रकार साधक का मन जितना निर्मल होगा, उतनी ही मात्रा में खिंच जायगा। 

दूसरा प्रत्यक्ष लाभ यह होता है कि साधक की जो साधना-पथ की — क्रियात्मक गुत्थियाँ अर्थात् संशयों को समाप्त करके सही साधना पथ पर चलाने का कार्य श्रोत्रिय-ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष ही कर सकता है। 

प्रवचन का अंत श्री राधा कृष्ण भगवान की आरती के साथ हुआ। 15 दिवसीय दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला का आयोजन दिनांक 8 अप्रैल 2025 तक प्रतिदिन शाम 7 से रात 9 बजे तक होगा।

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