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मध्य प्रदेश

‘पोषण भी, पढाई भी‘ थीम के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया गया प्रशिक्षण

 शहडोल
 कलेक्टर डॉ. केदार सिंह के निर्देशन एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास श्री मनोज लारोकर के मार्गदर्शन में महिला एवं बाल विकास विभाग अन्तर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों की आंगनवाडी कार्यकर्ताओ को बच्चो के विकास के आयामों के मूल्यांकन में क्षमता वृद्धि कर सक्षम बनाने के उद्देश्य से आंगनवाडी एवं मिशन पोषण 02 अन्तर्गत ‘पोषण भी, पढाई भी‘ थीम के तहत् तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन जिले में संचालित समस्त आंगनवाडी कार्यकर्ताओ को प्रदान किया गया।

पोषण भी, पढ़ाई भी प्रशिक्षण अन्तर्गत आंगनवाडी कार्यकर्ताओ को 03 से 06 वर्ष के बच्चो में शाला पूर्व शिक्षा की आधारशिला एवं 0 से 03 वर्ष के बच्चो में नवचेतना गतिविधियों के संबंध में विस्तृत प्रशिक्षण आयोजित किए गए। तीन दिवसीय प्रशिक्षण के प्रथम दिवस पढाई-विषय पर प्री-टेस्ट्, अपेक्षानुसार वातावरण, पोषण भी पढाई भी के लिए तर्क, प्रारंम्भिक बाल शिक्षा के महत्व, बच्चो की आकांक्षाओ की समझ, बच्चों में विकास के क्षेत्रो का परिचय, भाषा और साक्षरता विकास, अधिगम सहायको का महत्व (टी.एल.एम.) शैक्षणिक सामग्री व अधिगम सामग्री का निर्माण, कक्षा का संचालन एवं बच्चो के लिए एक दिनचर्या की योजना बनाना आदि विषय पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

प्रशिक्षण के द्वितीय दिवस पोषण- विषय पर स्वस्थ बच्चे और मानव जीवन चक्र में पोषण की भूमिका के बारे में चर्चा, पोषण संबंधी उपायो पर चर्चा और प्रस्तुति, माइक्रो सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी विकारों पर चर्चा एवं प्रस्मृति, पोषण परामर्ष पर नाटिका, सेम-मेम बच्चो की पहचान रोकथाम प्रबंधन, स्तनपान के लाभ, स्तनपान की प्रारंम्भिक शुरूआत और कोलोस्ट्रम के लाभो की समझ, उचित स्थिरता और खाद्य विविधता के साथ आयु-विशिष्ट पूरक पोषण आहार का महत्व, 03 से 06 वर्ष के बच्चो के लिए पोषण एवं संतुलित आहार और आहार विविधता का महत्व, व्यक्तिगत स्वच्छता व सफाई, विकास निगरानी व मूल्यांकन के तकनीकें, बाल विकास में माता-पिता और समुदाय को शामिल करने का महत्व व रणनीतियां एवं बच्चो की सुरक्षा एवं संरक्षण विषय पर प्रशिक्षण मात्र ट्रेनरों द्वारा दिया गया। प्रशिक्षण के तृतीय दिवस पोषण भी,पढाई भी- दिव्यांगता की पहचान समावेशन के अधिकार पर सामूहिक चर्चा, जांच अनुसूचियों पर केस स्टडी और चर्चा, बाल पालन प्रणालियों की देख-भाल करने वाले के प्रति जागरूकता पर सामूहिक चर्चा, 0 से 3 वर्ष के पोषण पर चर्चा, एक शिक्षण केन्द्र के रूप में मेरी आंगनवाडी एवं प्रशिक्षण के बाद प्रश्नोत्तरी और सहायक प्रतिबिंब प्रपत्र व प्रमाण पत्र वितरण किया गया।

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