राजनांदगांव | प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय दिग्विजय स्वशासी महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. केशव राम आडिल के पर्यवेक्षण में वनस्पति शास्त्र एवं जैव प्रोधोगिकी विभाग के एम्.एस.सी. के विधायार्थियो द्वारा पौधों से प्राप्त पदार्थ से एक बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का निर्माण किया गया है | इस बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को डॉ. आडिल एवं उनके रिसर्च समूह ने शैवाल से प्राप्त होने वाले पॉलीसैकेराइड एवं सब्जिओ से निर्मित होने वाले उपोत्पाद को मिला कर बनाया है | इस बायो प्लास्टिक में एंटीमाइक्रोबियल एवं एंटीऑक्सीडेंट गुण है जो कि हानिकारक सूक्ष्म जीवो को वृधि करने से रोकेगा |
डॉ. आडिल ने बताया कि वर्तमान जिस प्लास्टिक का उपयोग होता है वह पेट्रोलियम पदार्थो से निर्मित होता है, ये केमिकल आधारित पदार्थ हमारे पर्यावरण एवं इसमें रहने वाले जीव जन्तुओ को बहुत नुकसान पहुचता है| वर्त्तमान में यह प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिकएवं नैनोप्लास्टिक के रूप में मानव शरीर में प्रवेश कर बहुत से बीमारियो को जन्म देते है | इसी समस्या से लड़ने एवं इसे कम करने के लिए महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थियो द्वारा एक ऐसा बायोप्लास्टिक बनाया गया है जो पर्यावरण एवं जीव जन्तुओ के लिए नुकसानदायक नहीं होगा | यह बायोब्लास्टिक हानिकारक प्लास्टिक का उपयोग कम करने के लिए एक अच्छा विकल्प होगा |इसे फेकने पर यह बायोप्लास्टिक मिट्टी में गल जायेगा एवं एकजैव उर्वरक के रूप में कार्य करेगा |इसबायोप्लास्टिक का उपयोग सुखे खाद्य पदार्धके पैकेजिंग, कृषि एवं जैव चिकित्सा के क्षेत्र में किया जा सकता है |
इस उपलब्धि एवं रिसर्च कार्य के लिए महाविद्यालय कि प्राचार्य डॉ. सुचित्रा गुप्ता ने डॉ. केशव एवं उनकी रिसर्च समूह को बधाई देते हुए इस कार्य कि सराहनाकी | प्राचार्य डॉ. गुप्ता ने इस बायो प्लास्टिक को और अलग-अलग रूप दे कर इसका अनुप्रयोग को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया | प्राचार्य मैडम ने कहा यह हमारे महाविद्यालय के लिए गौरव कि बात है कि यहाँ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीयस्तर के रिसर्च कार्य किये जा रहे | इस तरह के रिसर्च कार्य से हममेहानिकारक प्लास्टिक को छोड़ कर एक पर्यावरण अनुकूल बायो प्लास्टिक का उपयोग करने कि जागरूकता बढेगी | वनस्पति शास्त्र विभाग कि विभागाध्यक्ष डॉ. अनिता महिस्वर ने इस कार्य के लिएरिसर्च समूह के सभी सदस्यों को बधाई दी और आगे इस रिसर्च कार्य को जारी रखने कि लिए प्ररित कर, भविष्य में इस उत्पाद को बाजार में उपलब्ध कराने का सुझाव दिया |
यह रिसर्च कार्य वनस्पति शास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं शोध निर्देशक डॉ. केशव राम आडिल के पर्यवेक्षण में उनके शोध छात्र नितेश कुमार, एम्.एस.सी. बायोटेक्नोलॉजी अंतिम सेमेस्टर के विद्यार्थी शीतल देवांगन एवं हिमांचलवर्माद्वारा किया गया है |