advertisement
DPR छत्तीसगढ समाचारछत्तीसगढ़राजनांदगांव जिलारायपुर जिला

विनोद कुमार शुक्ल का पारिवारिक परिचय

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में १ जनवरी १९३७ को हुआ था. इनके पूर्वज उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के जगतपुर के निवासी थे. विनोद कुमार शुक्ल के दादाजी शिव भक्त होने के कारण अपने सभी बेटों के नाम भगवान शिव के नाम पर क्रमशः शिव आधार, शिव गोपाल, शिव मंगल, शिव बिहारी, शिवपाल और शिवलाल रखे थे.

विनोद जी के पिता का नाम शिव गोपाल शुक्ल और माता का नाम श्रीमती रुक्मणि शुक्ल था. इनके पिताजी अपने छह भाइयों में दूसरे नंबर के थे. विनोद कुमार शुक्ल चार भाई थे, उनके नाम थे क्रमशः संतोष कुमार शुक्ल, विनोद कुमार शुक्ल, अशोक कुमार शुक्ल और अयोध्या प्रसाद शुक्ल. आपकी दो बहनों के नाम है प्रभा और पद्मा. विनोद जी की पत्नी का नाम सुधा शुक्ल है. आपकी दो संतान पुत्र शाश्वत और एक पुत्री हैं जो नागपुर में विवाहित हैं. उल्लेखनीय है कि विनोद जी का ससुराल भी नागपुर ही है.

स्मरणीय है कि राजनांदगांव के बीएनसी मिल के बड़े अधिकारी किशोरी लाल शुक्ल ही इनके पिताजी के सबसे छोटे भाई थे, जिनके बचपन का नाम शिवलाल शुक्ल था. राजनांदगांव में उच्च शिक्षा की नीव रखने का श्रेय किशोरीलाल शुक्ल को ही जाता है. राजनांदगांव शिक्षा मंडल का गठन उन्हीं की अध्यक्षता में हुआ था. राजनांदगांव में जब १९५७ में कॉलेज खुला तब उसका नाम आर्ट्स एंड कॉमर्स था. उन दिनों कॉलेज स्टेट स्कूल में लगता था. बाद में जब महाराजा दिग्विजय दास ने उस कॉलेज के लिए अपने राजमहल को दान में दिया तबसे कॉलेज का नाम दिग्विजय कॉलेज रखा गया.

विनोद शुक्ल का जन्म राजनांदगांव में ही हुआ जहाँ उनका बचपन बीता और उनकी की प्रारंभिक शिक्षा यहाँ के स्टेट स्कूल में हुई. बाद में उन्होंने जबलपुर से एग्रीकल्चर में एमएससी किया और फिर रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज में लेक्चरर बन गए. आपके छोटे भाई अयोध्या प्रसाद शुक्ल जी राजनांदगांव के ही म्युनिस्पल स्कूल में लेक्चरर थे जो १९९६ में रिटायर हुए. अयोध्या प्रसाद शुक्ल दिग्विजय मागविद्यालय के पहले छात्रसंघ अध्यक्ष भी थे. आप भी यहाँ के स्थानीय अख़बार ‘सबेरा संकेत’ में ‘एक राहगीर’ नाम से एक कॉलम लिखा करते थे. अयोध्या जी के पुत्र डॉ. अमित के अनुसार उनके पिता जी ने पदुमलाल पुन्ना लाल बख्शी की पुस्तकों की पाण्डुलिपि भी तैयार की है. ऐसा इसलिए कि जब बख्शीजी अस्वस्थ हो गए थे तब बोलकर इन्हीं से लिखवाया करते थे.

अयोध्या प्रसाद शुक्ल की पत्नी श्रीमती लक्ष्मी शुक्ल बताती हैं कि विनोद कुमार शुक्ल जी स्वाभाव से ही बहुत विनोदी है. कभी ऊँची आवाज में नहीं बोलते, बच्चे, बूढ़े, जवान सभी के साथ प्रेम पूर्वक विनोदी शैली में ही बातें करते है. वे पचपन से ही लेखन कार्य कर रहे हैं और उनके लेखन कार्य के लिए कॉलेज से भी बहुत छूट मिलती रही है. आप बताती हैं कि उनका उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ सत्य घटना पर आधारित उपन्यास है. जब उस पर फिल्म बानी तब उसकी शुरूआती शूटिंग राजनांदगांव के उनके पैतृक आवास में ही हुई थी.

शंकर मुनि राय
विभागाध्यक्ष-हिंदी
शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगांव

Advotisment

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button