रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम को प्राइमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों के बच्चों के लिए किताबों के प्रकाशन और विक्रय से मिलने वाले लाभांश का इस्तेमाल बच्चों के शैक्षणिक गुणवत्ता पर खर्च करना होता है। मगर यहां तैनात अधिकारियों ने इस लाभांश को अपने लोगों को स्वेच्छानुदान के रूप राशि बांट दी। महज सादे कागज पर ली गई अर्जी के आधार पर इलाज, आर्थिक मदद या निजी सामग्री खरीदने के नाम पर करोड़ों रुपये जारी कर दिए गए।
इसका पर्दाफाश गत दिनों पिछले तीन साल के स्थानीय निधि संपरीक्षा (आडिट) से हुआ है। इस गड़बड़ी का पता चलने पर राशि स्वीकृत करने वाले अधिकारियों से वसूली करने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही निगम के प्रबंधक संचालक को पत्र लिखकर वसूली करके अवगत कराने को भी कहा गया है। यह अनुदान घोटाला पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष देवजी भाई पटेल के कार्यकाल का है। भाजपा सरकार के दौरान यहां रेवड़ी की तरह अनुदान बांटा गया है।
आडिट के प्रारंभिक जांच मेें अब तक जो दस्तावेज मिले हैं, उनमें करीब एक करोड़ की राशि को मनमाने तरीके खर्च करने पर आपत्ति की गई है। जिन लोगों पर यह राशि खर्च की गई है, उनका किसी भी तरह का योगदान पाठ्यपुस्तक निगम के हित में नहीं है और न ही शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में कोई सहयोग है। सूत्रों की मानें तो पाठ्यपुस्तक निगम में 2017-18 के पहले भी स्वेच्छानुदान कोष के नाम पर तीन करोड़ रुपये का घोटाला किए जाने का अनुमान है। अधिकारियों का कहना है कि मामले के दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है।
400 से अधिक लोगों को बांटे पांच से 50 हजार रुपये
निगम के तत्कालीन अधिकारियों ने साल 2017-18 से 2019-20 तक निगम की राशि का विभिन्न व्यक्तियों और संस्थाओं के नाम पर पांच हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक की राशि बांट दी है। पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व वित्ताधिकारियों ने स्वेच्छानुदान कोष से कितनों को कितनी राशि और किस मकसद से दी, इसका विवरण उपलब्ध नहीं है। फिलहाल तीन साल की सूची मिली है, जिसमें 400 से अधिक लोग ऐसे हैं जो निजी क्षेत्र के हैं और उनका निगम के कामकाज और बच्चों के शैक्षणिक गुणवत्ता से कोई लेना-देना तक नहीं है।
किसको मिली रकम जांच में जुटा निगम
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि जिन लोगों को स्वेच्छानुदान कोष की राशि दी गई है। उनसे आवेदन लिए गए हैं और जारी राशि के साथ उनके नाम का उल्लेख किया गया है, पर पता अंकित नहीं है। निगम के अधिकारी अब स्वेच्छानुदान कोष से जुड़े दस्तावेज खंगालने में जुट गए हैं। निगम में स्वेच्छानुदान कोष का प्रबंध कब किया गया था। इस कोष से किस आधार पर रकम कैसे बांटी जाती है और इसमें शामिल अफसरों भूमिका क्या रही, इसकी जांच की जा रही है।
‘स्वेच्छानुदान में जो भी गड़बड़ी की गई है, हम उसकी जांच पड़ताल कर रहे हैं, इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।’
– अभिजीत सिंह, प्रबंध संचालक, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम रायपुर