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मध्य प्रदेश

बाल देखरेख संस्थाओं के बच्चों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने होंगे विशेष प्रयास

ग्वालियर
किशोर न्याय अधिनियम व संशोधित नियमों के तहत निरूद्ध किए गए ऐसे बच्चे जो बाल देखरेख संस्थाओं में रह रहे हैं, उनमें आत्मविश्वास की भावना जागृत करने और समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिये उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में जिले में विशेष प्रयास किए जायेंगे। उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने जिले में संचालित बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत बच्चों के कल्याण में सहयोग के लिये समाज के प्रतिभाशाली व्यक्तियों की समिति गठित करने के निर्देश जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास को दिए हैं। त्यौहारों एवं महत्वपूर्ण दिवसों को बाल देखरेख संस्थाओं में पहुँचकर बच्चों के साथ मनाने व बच्चों को प्रशिक्षण देकर खेलकूद, कला, संगीत व नृत्य जैसी रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ने और उन्हें उचित कैरियर मार्गदर्शन दिलाने के प्रयास भी विशेष तौर पर होंगे।

ज्ञात हो किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (संशोधन 2021), किशोर न्याय आदर्श संशोधन नियम, 2022 (मूल नियम 2016) के प्रावधानों के तहत जिले में संचालित बाल देखरेख संस्थाओं में ऐसे बच्चों को आश्रय दिया जाता है जो विधि का उल्लंघन करते हैं अर्थात अपराधियों अनाथ, बेसहारा, परित्यक्त, घर से भागे हुए, बाल भिक्षुक, बाल तस्करी में लिप्त, शोषण के शिकार, सड़क पर रहते हैं। बाल देखरेख संस्थाओं में पारिवारिक कारणों, अपराधियों के संपर्क में आने, बुरी संगत व अनाथ होने आदि के कारण रह रहे ऐसे बच्चे जो भय व संकोचवश अपनी बात किसी से साझा नहीं कर पाते हैं और कभी-कभी अवसाद की स्थिति में चले जाते है, जिससे उनका मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक विकास प्रभावित होता है। इन परेशानियों से बच्चों को बचाने व उनमें आत्मविश्वास जागृत करने के लिये विशेष प्रयास करने के आदेश उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए हैं।

बच्चों की अवसाद की स्थिति से निकालने के तथा उन्हें यह महसूस करवाने के लिए समाज ने उन्हें अलग-थलग नहीं किया है। आप सब भी समाज की मुख्य धारा में समाहित होने के लिए हर तरह से काबिल हैं। इस उद्देश्य से ग्वालियर जिले में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। कलेक्टर श्रीमती चौहान ने ऐसे बच्चों की आवश्यक सहायता तथा सहयोग के लिए समाज के जिम्मेदार और साधन सम्पन्न व्यक्तियों का सहयोग लेने के लिये विभागीय अधिकारियों से कहा है। समाज के प्रभावशाली व्यक्तियों में प्रशासनिक अधिकारी, चार्टड अकाउंटेंट, डॉक्टर, वकील व पेशेवर व्यवसायी हो सकते हैं। समाज के प्रभावशाली व्यक्तियों को बाल देखरेख संस्थाओं के बच्चों की जरूरतों व उनके विकास में सहयोग करने की जिम्मेदारी दिलाने के प्रयास किए जायेंगे। प्रयास ऐसे होंगे, जिससे जरूरतमंद बच्चों का जीवन स्तर ऊँचा उठे और उन्हें खुशहाल जीवन जीने के लिए अच्छा माहौल मिले।

बच्चों का जीवन स्तर ऊँचा उठाने व उनमें आत्मविश्वास की भावना को जागृत करने के लिये समाज के जिम्मेदार व्यक्ति बाल देखरेख संस्थाओं को गोद ले सकते हैं। साथ ही बच्चों के समग्र विकास के लिये दान भी प्रभावशाली व्यक्ति दे सकते हैं। बालकों को उचित परामर्श भी महत्वपूर्ण पहलू होगा। पेशेवर व्यक्तियों द्वारा अपने क्षेत्र की सेवाओं के संबंध में बालकों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है, जिससे बच्चे उस क्षेत्र को कैरियर के रूप में अपना सकें। बाल देखरेख संस्थाओं के बच्चों के कल्याण, पुवर्नास, शिक्षा एवं रोजगार के लिए कौशल प्रशिक्षण तथा उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने में सहयोग राशि राज्य स्तर बैंक ऑफ महाराष्ट्र के बचत बैंक खाता क्र. 60411029562 में दान की जा सकती है।

कलेक्टर श्रीमती रूचिका चौहान ने जिम्मेदार व्यक्तियों, संस्थाओं, पेशेवर व्यक्तियों से बच्चों की जिम्मेदारी लेने की अपील की है। साथ ही जिला कार्यक्रम अधिकारी, श्री डी. एस. जादौन, महिला एवं बाल विकास विभाग को समाज के प्रभावशाली व्ययकित्यों की समिति गठन किए जाने के निर्देश दिए हैं। यह समिति समय-समय पर बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत बच्चों से भेंट कर उनकी आवश्यकता को समझकर उनका सहयोग कर सकें।

ये हैं जिले की बाल देखरेख संस्थायें
मातृछाया शिशु कल्याण केन्द्र कस्तूरबा गांधी विश्रान्ति भवन न्यास एसएएफ रोड कम्पू, प्रगति महिला मंडल मॉर्डन स्कूल के पास ठाठीपुर, बाल संप्रेक्षण गृह सिल्वर स्टेट के सामने, माँ कैलादेवी बालिका गृह जेएएच परिसर कम्पू, प्रगति महिला मंडल आदित्यपुरम गोले का मंदिर एवं स्वधार गृह कम्पू ।

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