advertisement
छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव : जल संरक्षण के लिए जनसहभागिता से व्यापक तौर पर करना होगा कार्य – कलेक्टर

– हरियाली बहिनी ने जल यात्रा कार्यक्रम किया प्रारंभ
– हरियाली बहिनी कलश लेकर गांव-गांव जाकर जल संरक्षण एवं फसल विविधीकरण के संबंध में ग्रामीणों को करेंगी जागरूक
– स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा लगाए जाएंगे 8 लाख पौधे
– ग्राम टाटेकसा में सम्मान समारोह एवं हरियाली बहिनी द्वारा जल यात्रा कार्यक्रम का किया गया शुभारंभ
– जल संरक्षण के लिए सभी महिलाओं द्वारा लिया गया संकल्प
– सभी घरों में एक-एक सोकपीट बनाने का किया गया आव्हान

राजनांदगांव । अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम टाटेकसा में सम्मान समारोह एवं हरियाली बहिनी द्वारा जल यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कलेक्टर संजय अग्रवाल, अध्यक्षता पद्मश्री फूलबासन यादव, विशिष्ट अतिथि के रूप में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुरूचि सिंह उपस्थित थे। जल यात्रा कार्यक्रम के तहत हरियाली बहिनी कलश लेकर गांव-गांव जाकर जल संरक्षण एवं फसल विविधीकरण के संबंध में ग्रामीणों को जानकारी देंगी। जल संरक्षण के लिए सभी महिलाओं ने संकल्प लिया।

कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि यहां से महिला स्वसहायता समूहों की हरियाली बहिनी द्वारा जल यात्रा कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। महिलाओं द्वारा जल संरक्षण के प्रति यह जागरूकता देखकर बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि जिले में लगातार भूमिगत जल स्तर नीचे जा रहा है यह बहुत कठिन समय है। ऐसा ही चलता रहा तो पानी के कारण बहुत बड़ी विपत्ति आ सकती है। इसके लिए सभी को जल संरक्षण के प्रति जागरूक रहना होगा। यह कार्य सभी के सहयोग से संभव हो सकता है। कोविड-19 संक्रमण के दौरान सभी के सहयोग से इस महामारी से बाहर निकल पाए। उसी तरह से हमें जल संरक्षण कर वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के लिए पानी बचाना होगा। उन्होंने कहा कि जल संकट का समय नहीं आया है लेकिन आने वाले समय में इससे निपटने के लिए सभी को सतर्क रहना बहुत जरूरी है। बारिश का पानी नदी-नालो से बहकर समुद्र में चला जाता है। जिसे रोकना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए बारिश के पानी को गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में रोकना जरूरी है। इसके लिए गांवों में तालाब, डबरी, नाला बंधान, सोकपीट, परकोलेशन टैंक जैसे स्ट्रक्चर का निर्माण कर जल को संरक्षित कर सकते हैं। जिससे भूमिगत जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ वृक्षारोपण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि एक पेड़ के आस-पास 40 से 50 हजार लीटर पानी रोकने की क्षमता होती है और भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन भी देता है। इसके लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए अभी से तैयारी कर लें।
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि पानी की समस्या को सभी को समझना होगा और पानी का सदुपयोग करना है। किसानों को कम पानी उपयोग वाली फसलों को लगाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि जिले में 42 हजार से अधिक ट्यूबवेल पंप लगाकर किसान फसल के लिए पानी लगातार निकाल रहे हैं। धान की खेती के लिए लगातार 24 घंटे पंप चलते है। जिससे भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। जिसके कारण जल संकट आने की संभावना बनी हुई है। उन्होंने बताया कि एक परिवार जितना पानी एक वर्ष में उपयोग करता उसका 100 गुना एक हेक्टेयर धान की खेती में किसान पानी का उपयोग करते है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए पानी बचाया था उसी तरह अभियान चलाकर सभी के सहयोग से वर्तमान और आने वाली पीढी के लिए जल संरक्षण करना बहुत जरूरी है। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि महतारी वंदन योजना के संबंध में सभी महिलाओं को मिलने वाली प्रतिमाह एक-एक हजार रूपए की राशि के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि यह एक-एक हजार रूपए का उपयोग महिलाओं को स्वयं के स्वास्थ्य, पौष्टिक भोजन, प्रोटीन, आयरन युक्त खाद्यान्न का उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने बेटियों को भी पौष्टिक भोजन, प्रोटीन, आयरन युक्त खाद्यान्न का उपयोग कराने कहा। जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे। उन्होंने बताया कि पो_ लईका पहल अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं, माताओं और बालिकों को पौष्टिक भोजन के संबंध में विस्तार से जानकारी देकर जागरूक किया। इसके परिणाम स्वरूप 2 हजार से अधिक कुपोषित बच्चों को कुपोषण की श्रेणी से सुपोषण की श्रेणी में लाया गया है। इसी तरह से जनसहभागिता और जागरूकता से जल संरक्षण से भूमिगत जल स्तर बढ़ेगा।
पद्मश्री फूलबासन यादव ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सभी स्वसहायता समूह की महिलाओं को जल संरक्षण के लिए संकल्प दिलाई। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए हमें उपयोग के तौर पर पानी संरक्षित करना चाहिए। जल संरक्षण का अभियान स्वयं के लिए करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी घरों में एक-एक सोकपीट बनाना होगा। जिससे जल का संरक्षण हो सके। उन्होंने जरूरत के अनुसार ही पानी का उपयोग करने कहा। उन्होंने कहा कि जमीन के भीतर से बार-बार पानी निकालते हैं तो उसके भीतर भी हमें ही पानी डालना होगा। जिससे भूमिगत स्तर का संतुलन बना रहे। उन्होंने कहा कि 8 लाख पौधे महिला स्वसहायता समूहों द्वारा लगाया जाएगा। जिससे समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। पानी की तकलीफ को दूर करना होगा। ग्राम संगठन में सिर्फ पानी संरक्षण की बात होनी चाहिए। जनसहयोग से ही पानी बचाना है। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी आपदा को सभी की सहभागिता से दूर किया है तो उसी तरह जल संरक्षण कर पानी की समस्या से भी निजात मिलेगी। इसके लिए सभी को मिलकर जल संरक्षण के लिए कार्य करना होगा।
सीईओ जिला पंचायत सुरूचि सिंह ने कहा कि हम सभी को मिलकर पानी बचाना और स्वच्छता लाने के कार्य को मिलकर करना होगा। मौसम की अनुकूलता के कारण आज पानी की बहुत बड़ी समस्या आ रही है। जल संरक्षण के लिए आज स्वसहायता समूह की महिलाएं जल यात्रा शुरू कर रही है। जिससे गांव-गांव में जाकर हरियाली बहनियों द्वारा जल संरक्षण के संदेश को पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पानी की समस्या को दूर करने के लिए रिचार्ज सिस्टम और फसल विविधीकरण अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ग्रीष्म ऋतु में कम पानी उपयोग वाली फसलों का उत्पादन लेना चाहिए। जिससे पानी की बचत हो सके। इसके लिए गांव-गांव में जागरूकता लाना बहुत जरूरी है। इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य अनिता मंडावी, सरपंच टाटेकसा ने भी जल संरक्षण के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने सभी महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में जनपद पंचायत सदस्य अशोक नेताम, जनपद पंचायत सदस्य गिरीजावती भैसा, सीईओ जनपद पंचायत आलोक कुमार सातपूते, सरपंच सुखचंद चंद्रवंशी, सदस्य मां बम्लेश्वरी जनहितकारी समिति कुमारी ममता चंद्रवंशी, ऋषि कुमार मिश्रा सहित महिला स्वसहायता समूह और बिहान समूह की महिलाएं उपस्थित थी।

Advotisment

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button