कोरबा। जिले के लेमरू वन परिक्षेत्र में एक अनोखा मोर देखने को मिल रहा है। यह मोर वन विभाग के रेंज कार्यालय को अपना घर बना चुका है। हर सुबह सूर्योदय के साथ ही वह गांव की सैर के लिए निकल पड़ता है। शाम होते ही लौटता है। मोर की यह दिनचर्या गांव वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है। वह गांव के चौक-चौराहों पर रुकता है। उसकी चाल में एक अनोखा आत्मविश्वास दिखता है। ग्रामीण इस मोर को खासा स्नेह देते हैं। वे नियमित रूप से उसे दाना डालते हैं। साथ ही उसकी सुरक्षा का भी ध्यान रखते हैं। मोर भी ग्रामीणों के प्यार को समझता है। वह उनके आसपास बिल्कुल सहज रहता है। गांव के बच्चे और बड़े उससे बातें करते हैं। शाम होते ही वह रेंज कार्यालय लौट जाता है। यहां वह रात को आराम करता है। इस मोर की एक विशेषता यह भी है कि वह बाहरी लोगों से सतर्क रहता है। अनजान व्यक्ति को देखते ही वह अपने पंख फैलाकर उसे खदेड़ने की कोशिश करता है। ऐसा लगता है जैसे वह गांव का रखवाला बन गया हो।

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