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मध्य प्रदेश

अनैतिक क्लीनिकल ट्रायल्स पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

इंदौर,

माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अनैतिक क्लिनिकल ट्रायल्स के विभिन्न मुद्दों पर स्वास्थ्य अधिकार मंच द्वारा वर्ष 2012 में दायर की गई जनहित याचिका पर बुधवार 8 जनवरी 2025 को न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और एस वी एन भट्टी की पीठ द्वारा सुनवाई की गई।  मामले में सुनवाई करते हुये माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका कर्ता को केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए “न्यू ड्रग एंड क्लिनिकल ट्रायल्स रुल्स 2019” पर आपत्ति दर्ज करने और सुझाव देने के लिए याचिका कर्ता को चार सप्ताह समय दिया गया है। ज्ञात हो कि मरीजों की सुरक्षा और उनके अधिकार को सुरक्षित करने के लिए स्वास्थ्य अधिकार मंच द्वारा भी महत्वपूर्ण सुझाव दिये गए थे परंतु उनमे से अधिकांश को अनदेखा कर सरकार ने नए नियम बना दिये थे।

दिनांक 20/11/2024 की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संजय पारिख द्वारा कहा गया था कि उक्त याचिका में मरीजों के अधिकार और उनकी सुरक्षा से संबन्धित कई मुद्दे ऐसे है जिन पर अभी सुनवाई होना बाकी है, मजबूत कानून और नियमों के साथ एक मजबूत निगरानी तंत्र को लागू कर अनैतिक दावा परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सकता है ।  संजय पारीख ने कहा ही अभी भी हजारों की संख्या में क्लिनिकल ट्रायल्स के दौरान लोगों पर गंभीर दुष्परिणाम हुए है ।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संजय पारिख ने तर्क दिया कि 2019 के नियमों के बावजूद, कई मुद्दे बचे हुए हैं, जिनमें जांचकर्ताओं से संबंधित मुद्दे, मृत्यु या गंभीर शारीरिक दुष्परिणाम के मामलों में मुआवजा आदि शामिल हैं।

स्वस्थ्य अधिकार मंच के अमूल्य निधि ने कहा कि वर्ष 2013 में याचिकाकर्ता की दखल के बाद से क्लिनिकल ट्रायल से पीड़ितों के लिए नियम बनाए गए थे परंतु उन नियमों के आधार पर अभी तक  को मुआवजा नहीं मिला है। साथ ही साथ जिन अनैतिक क्लिनिकल ट्रायल्स पर सरकार ने करवाई नहीं की है । कोर्ट के कई ऑर्डर का पालन भी नहीं हुआ है और अपेक्स कमिटी की नियमित बैठक नहीं हो रही है।

ज्ञात हो कि आर्थिक अपराध ब्यूरो (EOW) की जून 2011 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के कुछ चिकित्सकों ने महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज और महाराजा यशवंत राव अस्पताल में 77 क्लिनिकल ट्रायल्स 3307 मरीजों को उन्हे बताए बिना किए थे और इनसे 5.10 करोड़ रुपए अर्जित किए थे। इन क्लिनिकल ट्रायल्स से 32 मरीजों की मौत हो गयी थी और 49 मरीजों को गंभीर दुष्परिणाम का सामना करना पड़ा था। इस मुद्दे पर विभागीय कार्यवाही भी की गई थी परंतु अभी कोई प्रभावी निर्णय नहीं लिया गया है।

इसके साथ ही भोपाल गेस पीड़ितों पर क्लिनिकल ट्रायल्स किया गए उनमे से 23 कि मृत्यु हो गई थी 22 गंभीर दुष्परिणामों से पीड़ित थे। इनमे से किसी भी पीड़ित को मुआवजा नहीं मिला है और न है गंभीर दुष्प्रभाव से पीड़ित मरीजों को उनके इलाज के लिए सहायता मिली है। आज की सुनवाई में इंदौर और भोपाल गेस पीड़ित संघ के मुद्दे के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों और हिस्सों मे हो रहे है अनैतिक क्लिनिकल ट्रायल्स के मुद्दे उठाए गए जैसे राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश के एचपीवी वेक्सिन आदि।

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