छत्तीसगढ़राज्‍यरायपुर जिला

एक लाख 20 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य पर खेती मात्र 49 हजार हेक्टेयर में

रायपुर। जांजगीर-चांपा जिले में एक लाख 20 हजार हेक्टेयर में रबी फसल लेने के लिए हसदेव बांगो नहर में पानी छोड़ा गया है, मगर यहां 49 हजार हेक्टेयर में भी खेती नहीं हो सकी है। दूसरी ओर नहर का पानी भी व्यर्थ बह रहा है।

जिले में रबी फसल लेने के लिए नहरों में बांध का पानी छोड़ा गया है। जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक हुई थी, इसमी एक लाख 20 हजार हेक्टेयर में रबी फसल लेने की सहमति बनी थी। एक जनवरी से नहरों में पानी भी छोड़ दिया गया।

माह भर से नहर का पानी ज्यादातर खेतों में व्यर्थ जमा हो गया है, जबकि मात्र 49 हजार हेक्टेयर में रबी फसल ली गई है। इसमे 20 हजार हेक्टेयर में धान और बाकी में गेंहू, सरसों, अलसी व अन्य दलहन तिलहन की फसल ली गई है। बाकी खेत खाली पड़े हैं।

इधर नहरों के जर्जर होने के कारण पानी व्यर्थ बह रहा है। खेतों में जगह जगह पानी भर गया है। जिला प्रशासन द्वारा वास्तविक रकबा निर्धारण समय पर नहीं किया गया। इससे किसान भ्रमित हो गए और कहां धान की खेती करना है कहां दलहन तिलहन की ये समझ नहीं पाए।

ऐसे में माह भर से नहर का पानी खेतों में व्यर्थ बह रहा है। लोग तालाबों में भी नहर का पानी नहीं भर रहे हैं। ऐसे में गर्मी के दिनों में निस्तार के लिए परेशानी हो सकती है। मगर इसकी परवाह किसी को नही है। मेहन्दा के किसान संदीप तिवारी का कहना है कि पहले से रकबा निर्धारण नहीं होने के कारण किसान तैयारी नहीं कर पाए।

इसके कारण ज्यादा रकबे में खेती नहीं हो पा रही है। नहर का पानी व्यर्थ बह रहा है। पानी की बर्बादी को रोकना होगा। जिले के किसान दलहन तिलहन की फसल लेने जागरूक नही हैं ऐसे के ज्यादातर जमीन खाली रह जाती है।

जिले में 49 हजार हेक्टेयर में ले रहे रबी फसल

जांजगीर के उप संचालक कृषि एमआर तिग्गा का कहना है कि जिले में 49 हजार हेक्टेयर में रबी फसल ली जा रही है। इसमे 20 हजार हेक्टेयर में धान और 29 हजार हेक्टेयर में गेहूं, सरसों अलसी, तिवरा, चना मटर व अन्य दलहन तिलहन की फसल शामिल है। कई जगह अभी धान की बुआई का काम चल रहा है।

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