विशेष आलेख : वनवासियों के हितों का शासन ने रखा ध्यान
छत्तीसगढ़ लघुवनोपज संग्रहण में देश में बना सिरमौर
7 से बढ़ाकर 38 लघुवनोपज की समर्थन मूल्य पर की गई खरीदी
राजनांदगांव 29 दिसम्बर। जैवविविधता से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ के सघन वनों में बहुमूल्य वन संपदा का खजाना है। प्रदेश की 44 प्रतिशत भूमि वनाच्छादित है। वनवासियों के हितों का शासन ने ध्यान रखा है और इस वर्ष शासन ने 7 से बढ़ाकर 38 लघुवनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी की है। ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी अधिक संख्या में लघुवनोपज को समर्थन मूल्य के दायरे में लाया गया है, जिसका प्रत्यक्ष लाभ दूरस्थ अंचलों में लघु वनोपज संग्रहण करने वाले वनवासियों को मिल रहा है।
वनवासियों के लिए लघुवनोपज संग्रहण आजीविका का साधन है। छत्तीसगढ़ वनौषधियों से समृद्ध है, जिसकी देश एवं विश्व स्तर पर मांग है। वनवासियों को शासन से प्रोत्साहन एवं संबल मिला और छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संग्रहण में देश में पहले स्थान पर सिरमौर बना। महुआ का समर्थन मूल्य 17 से बढ़ाकर 30 रूपए प्रति किलोग्राम किया गया। चालू संग्रहण वर्ष के दौरान राज्य में जुलाई 2020 तक 112 करोड़ के 4 लाख 75 हजार क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है। बस्तर, सरगुजा एवं राजनांदगांव जिले में महुआ बहुतायत हैं वहीं सरगुजा के सघन वनों में मीठे रसीले धवई फूल एवं वनौषधि सघन मात्रा में है। लघुवनोपज के उत्पाद स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं, इनमें खनिज एवं विटामिन प्रचुर मात्रा में होता है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वनवासियों की आर्थिक उन्नति के लिए प्रभावी कार्य किए हैं। वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के विशेष प्रयासों से यह कार्य संभव बना और लघु वनोपज संग्राहकों को बिचौलियों से मुक्ति मिली तथा वे सीधे अपना लघुवनोपज छत्तीसगढ़ लघुवनोपज संघ में विक्रय करने लगे। वनांचल के लघु संग्राहकों को उचित मूल्य प्रदाय करने हेतु 38 प्रजाति लघु वनोपज जैसे कि इमली, फूल इमली, महुआ फूल, महुआ बीज, चिरोंजी गुठली, सालबीज, कालमेघ बायबंडिग, नागरमोथा, बहेड़ा, कचरिया, हर्रा, हर्रा कचरिया, आंवला, चरोटा, कौंच बीज, धावई फूल, फूल झाडू, करंज बीज, बेल गुदा, कुल्लू गोंद, शहद रंगीनी लाख, कुसुमी लाख, जामुन बीज, भेलवा, गिलोय, वन तुलसी, वन जीरा, इमली बीज, नीम बीज आदि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा संग्रहण व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा 38 लघु वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी के अतिरिक्त 14 लघु वनोपज की खरीदी भी समर्थन मूल्य पर की जा रही है। इस प्रकार राज्य में 52 प्रकार के लघु वनोपज का संग्राहकों से क्रय किया जा रहा है। शासन की ओर से लघुवनोपज के प्रसंस्करण के लिए पाटन में केन्द्रीय प्रसंस्करण पार्क की स्थापना की जा रही है। राजनांदगांव जिले में मध्यभारत के पहले महुआ प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना की गई है। जहां महुआ के विभिन्न उत्पाद बनाए जा रहे हैं। लघुवनोपज से विभिन्न उत्पाद तैयार करने का कार्य संजीवनी के द्वारा किया जा रहा है। तेंदूपत्ते का संग्रहण पारिश्रमिक दर वर्ष 2018 में 2500 रूपए प्रति मानक बोरा था, जिसे बढ़ाकर 4000 रूपए कर दिया गया है। वर्ष 2019 में तेन्दूपत्ता का संग्रहण 15 लाख से अधिक मानक बोरो का 602 करोड़ रूपए पारिश्रमिक भुगतान किया गया। गत वर्ष की तुलना में लगभग 226 करोड़ रूपए की अतिरिक्त आय ग्रामीणों को हुई है। वर्ष 2020 में 9.72 लाख मानक बोरा तेन्दूपत्ता संग्रहण का 3,89.16 करोड़ रूपए पारिश्रमिक भुगतान किया गया।
चार लघु वनोपजों रंगीनी लाख, कुल्लू गोंद, कुसुमी लाख एवं हर्रा कचरिया पर अतिरिक्त बोनस की घोषणा क्रमश: 25, 20, 11 रूपए एवं 2 रुपए किलो की गयी है। राज्य में लगभग 839 संग्रहण केन्द्रों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं संघ द्वारा निर्धारित दरो पर क्रय की गई। लघु वनोपज को राज्य के 139 वन धन केन्द्रों के माध्यम से प्राथमिक प्रसंस्करण कर उचित मूल्य पर विक्रय किया जाएगा। इस व्यवस्था हेतु ग्राम स्तर पर लघु वनोपज संग्रहण केन्द्र (हॉट बाजार) प्राथमिक प्रसंस्करण (वन धन केन्द्र) में 5000 से अधिक समूहों अंतर्गत 50,000 से अधिक महिला हितग्राहियों का चयन कर लिया गया है।