advertisement
मध्य प्रदेश

वैश्विक धरोहर है बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व

भोपाल
उमरिया जिले का विश्व प्रसिद्ध बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व वैश्विक धरोहर है। यहाँ की जैव-विविधता, दुर्लभ वन्य-जीवों की उपलब्धता, कल्चुरी कालीन किला और हिन्दू देवताओं के प्राचीन मंदिर पूरी दुनिया में दुर्लभ हैं। टाइगर रिजर्व की स्थापना के पूर्व यहाँ का जंगल एवं पहाड़ियों के बीच निर्मित किला एवं अन्य संरचनाएँ रीवा रियासत के महाराजा की निजी सम्पत्ति हुआ करती थी। किले में राजकीय कार्यों के अलावा राज परिवार का निवास भी होता था। घनघोर जंगल राजा और महाराजाओं का निजी शिकारगाह होता था, जहाँ देश-विदेश के राजा समय-समय पर आकर आखेट करते थे।

कालांतर में देश की आजादी के बाद तत्कालीन रीवा महाराजा मार्तण्ड सिंह ने सन् 1967 में किला सहित पूरा जंगल मध्यप्रदेश शासन को नेशनल पार्क स्थापित करने एवं वन्य-जीव संरक्षण के लिये दान में दिया था। इसके बाद मध्यप्रदेश शासन द्वारा बाँधवगढ़ नेशनल पार्क की स्थापना की गयी। वर्ष 1981 के बाद यहाँ पर केन्द्र की टाइगर परियोजना शुरू की गयी। बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मौजूद जल-स्रोतों से यहाँ की जैव-विविधता देश-दुनिया के जंगलों की अपेक्षा उत्कृष्ट रही है। यहाँ जल-स्रोतों की मौजूदगी हमेशा से रही है, जिससे हरियाली बनी रहती है। पर्याप्त जल-स्रोत, चारागाह, सघन वन, शाकाहारी, मांसाहारी वन्य-जीवों के लिये आवश्यक आहार और रहवास की अनुकूलता होने से यहाँ दुर्लभ से दुर्लभ वन्य-प्राणी एवं पक्षी अपना आश्रय-स्थल बनाये हुए हैं।

बाघों की सघन मौजूदगी पूरी दुनिया में बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व को एक अलग पहचान दिलाती है। टाइगर रिजर्व 1526 वर्ग किलोमीटर के कोर एवं बफर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस जंगल में वर्ष 2022 की गणना अनुसार 165 से भी ज्यादा बाघों की संख्या पायी गयी थी। इसके अलावा कान्हा टाइगर रिजर्व से 49 बायसन लाकर वर्ष 2012 में बसाये गये थे, जो अनुकूल परिस्थितियों में बढ़कर वर्तमान में लगभग 200 की संख्या में स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। टाइगर रिजर्व में दुनिया में विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके विशेष प्रजाति के बारहसिंघा भी कान्हा टाइगर रिजर्व से लाकर बाँधवगढ़ में बसाये गये हैं। वर्ष 2018 से जंगली हाथियों ने भी अपना रहवास यहाँ बनाया है। तकरीबन 70 से 80 जंगली हाथी टाइगर रिजर्व के अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न झुण्डों में विचरण कर रहे हैं।

टाइगर रिजर्व में बाघ, बायसन, जंगली हाथी के अलावा नीलगाय, भालू, तेंदुआ, चीतल और सांभर यहाँ के मुख्य वन्य-प्राणी हैं, जो पर्यटन के साथ जैव-विविधता का केन्द्र हैं। टाइगर रिजर्व बाँस एवं साल के सघन वृक्षों से घिरा हुआ है। यहाँ वन्य-जीव दर्शन के अलावा हिन्दू मान्यताओं के कई प्राचीन धार्मिक मंदिर भी हैं। इसमें बाँधवगढ़ किले के समीप स्थित भगवान राम-जानकी मंदिर आस्था का प्रमुख केन्द्र है। यहाँ पर प्रतिवर्ष जन्माष्मी के पर्व पर मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देशभर से हिन्दू धर्मावलम्बी पूजा-दर्शन के लिये पहुँचते हैं। बाँधवगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित कबीर गुफा कबीरपंथियों की आस्था का केन्द्र है। प्रतिवर्ष अगहन पूर्णिमा के दिन यहाँ पर कबीरपंथियों का जमावड़ा होता है और कबीर गुफा में कबीर अनुयायी उनकी पूजा-पाठ करते हैं। संत शिरोमणि सेन की तपोस्थली भी बाँधवगढ़ में ही रही है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा संत सेन का मंदिर एवं समाधि-स्थल बनाने के लिये टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे हुए क्षेत्र में भूमि आरक्षित की गयी है, जिसमें निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है।

बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व बाघों के लिये विश्व प्रसिद्ध है। इसमें पहली बार दो दिवसीय बटरफ्लाई सर्वे कराया गया। टाइगर रिजर्व के 15 कैम्पों में 61 सदस्यों ने रिजर्व के जंगलों में पैदल सर्वे किया और सर्वे शीट पर तितलियों की जानकारी को अपडेट किया। दो दिवसीय सर्वे में तितलियों की 100 से अधिक प्रजातियाँ पायी गयीं। इनमें 5 से अधिक तितलियाँ दुर्लभ प्रजाति की हैं। कॉमन रैड आई, ब्लैक राजा, किंग क्रो और इंडियन डॉर्ट लेट जैसी तितली भी सर्वे में पायी गयी। तितलियों के सर्वे में मोबाइल एप का उपयोग नहीं किया गया। हाथ से ही सर्वे शीट में पैन से जानकारी को अपडेट किया गया।

 

advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker