CG : दीपावली के लिए लैलूंगा से आए फूल, 10 एकड़ में फसल, जमकर हुई बिक्री
रायगढ़, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में दिवाली में इस बार सिकंदर और टेनिस बाॅल की मांग ज्यादा रही। यह गेंदा फूल के किस्म का नाम है। जिसमें ऑरेज रंग का गेंदे को सिकंदर और पीले रंग के गेंदे को टेनिस बाॅल गेंदा के नाम से जाना जाता है।
इस किस्म के गेंदे अब जिले के लैलूंगा क्षेत्र में ही तैयार किए जा रहे हैं। इस बार दीपावली में इन फूलों की जमकर बिक्री हुई।
दीपावली में कई फूलों की बिक्री होती है, पर इसमें ज्यादा मांग गेंदा फूलों की है। इसकी खरीदी घर और दुकानों में सजावट के लिए की जाती है। ऐसे में इस बार लैलूंगा के कोड़केला गांव की गेंदा फूल शहर में बिकने के लिए पहुंची।
बताया जा रहा है कि एक दिन पहले से लैलूंगा के व्यवसायी गेंदा फूलों को लेकर रायगढ़ पहुंचने लगे थे और सुबह से इसकी बिक्री शुरू हो गई। लोग गेंदा फूल लेने के लिए बाजार में पहुंच रहे थे। शहर के चक्रधर नगर चौक व श्याम टॉकीज रोड पर गेंदा फूलों की दुकान व्यवसायियों ने लगाई थी।
कोलकाता से आता था गेंदा
व्यवसायियों ने बताया कि पिछले साल तक गेंदा और अन्य फूल कोलकाता से मंगाए जाते थे। इसके अलावा पुणे, बैंगलोर और ओडिशा से भी गेंदा फूल आता था और यहां के छोटे और बड़े व्यवसायी इसकी बिक्री करते थे। इस बार लैलूंगा के सिकंदर और टेनिस बाॅल गेंदा को बेचकर उन्होंने अच्छा प्रॉफिट कमाया।
अलग अलग दामों में लाखों रुपए के गेंदा फूल की हुई बिक्री।
कई व्यवसायियों ने की बिक्री
व्यवसायी भीष्मादेव ने बताया कि बुधवार से उनकी दुकान कलेक्ट्रेट रोड पर लगी थी और सभी गेंदा फूल के पौधों को लैलूंगा से लाया गया है। उन्होंने बताया कि कल से लोग इसकी खरीदी कर रहे हैं और अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। दीपावली पर्व को लेकर इन्हें तैयार किया गया था और शहर में अलग अलग-जगह पर कई दुकानें गेंदा फूल के लगाए गए हैं।
डेढ़ लाख पौधे तैयार किए गए
कृषि वैज्ञानिक केडी महंत ने बताया कि लैलूंगा के कोड़केला में गेंदा तैयार हुआ है। इसे गांव के विद्याधर पटेल ने डेड़ लाख पौधे करीब 8-10 एकड़ में लगाए थे। उन्होंने बताया कि कृषि अनुसंधान और उद्यानिकी विभाग के तकनीकी सलाह पर गेंदा फूल को तैयार किया गया।
30-35 लाख रुपए की इनकम
एक पौधा तैयार करने में 12 रुपए तक खर्च होता है, लेकिन उसकी बिक्री 50 रूपए तक की जाती है। इससे किसान को 30-35 लाख रुपए का इनकम होता है और लगभग छह माह में इस फसल को तैयार किया गया है।