advertisement
देश

अश्लीलता की बाढ़ में बर्बाद होती युवा पीढ़ी

अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बढ़ती अश्लीलता, देश के लिए नई चुनौती खड़ी कर रही है…
भारतीय संस्कृति में सदाचार, चरित्र निर्माण, विनम्रता, प्रेम, दया, त्याग, और आदर-सम्मान जैसे सद्गुणों को हमेशा से ही प्रमुखता दी गई है। इसके बावजूद, समाज में बढ़ते अपराध और नैतिक पतन की ख़बरें हमें आए दिन देखने, सुनने और पढ़ने को मिलती रहती है। इन बढ़ते अपराधों को देखकर कई बार मेरे मन में यह प्रश्न उठता है कि जब हमारी शिक्षा प्रणाली और संस्कारों में नैतिकता और आदर्शों पर इतना जोर दिया गया है, तो क्यों समाज के कुछ लोग पथभ्रष्ट होकर सामाजिक ताने-बाने को दूषित करने में लगे हुए हैं….? इसका एक प्रमुख कारण सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बेलगाम और तेजी से बढ़ती अश्लीलता और अनुशासनहीनता है।
सोशल मीडिया और इंटरनेट की भूमिका आज की दुनिया में अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। जहां एक ओर सोशल मीडिया ने हमें कई सुविधाएं दी हैं, वहीं दूसरी ओर इसके दुष्प्रभाव भी हमारे सामने आ रहे हैं, एक तरफ यूट्यूब और गूगल जैसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए हम हर प्रकार की जानकारी तुरंत प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इसका नकारात्मक पक्ष भी है और वह है सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री की बाढ़…..! जो तेजी से हमारे समाज को खोखला कर रही है।
आज स्थिति यह है कि जहाँ देखो वहाँ अश्लीलता छाई हुई है। सोशल मिडिया प्लेटफ़ॉर्म पर वीडियो रील्स में अश्लीलता इतनी सामान्य हो गई है कि इसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल होता जा रहा है। बात यहीं खत्म नहीं होती; ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर प्रसारित होने वाली वेब सीरीज और शो भी उसी राह पर चल रहे हैं। इनमें से अधिकांश कंटेंट इतना अश्लील और भड़काऊ होता है कि आप परिवार के साथ उसे देख भी नहीं सकते। क्रिएटिविटी के नाम पर इन प्लेटफॉर्म्स ने अशिष्टता और गाली-गलौज को सामान्य बना दिया है। ऊपर से यह कंटेंट आज हर वर्ग की पहुँच में है। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब छोटे बच्चे और किशोर ऐसे कंटेंट से प्रभावित होकर अपने जीवन में उन चीज़ों की नकल करते हैं। नतीजा यह है कि बच्चे गालियाँ, हिंसा और अश्लीलता सीख रहे हैं।
हाल ही में एक वेब सीरीज आई जिसमें कामुकता और हिंसा के ऐसे दृश्य दिखाए गए कि हॉलिवुड तक भी शायद शरमा जाए। इस प्रकार के कंटेंट से भारतीय समाज और संस्कृति का ताना-बाना बुरी तरह बिखर रहा है। हमारी फिल्म इंडस्ट्री भी ऐसी ही फिल्मों और वेब सीरीज पर केंद्रित हो रही है, जिनका उद्देश्य सिर्फ विवाद खड़ा करना है, जिनका सामाजिक जागरूकता, शिक्षा जैसे विषयों से कोई नाता नहीं है।
अश्लील सामग्री का सबसे ज्यादा प्रभाव हमारी युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। ऑनलाइन शिक्षा के बढ़ते चलन ने बच्चों के हाथों में स्मार्टफोन दे दिए हैं, जिससे अब माता-पिता के लिए यह पता करना कठिन हो गया है कि बच्चे केवल पढ़ाई के लिए ही फोन का उपयोग कर रहे हैं। ऊपर से अश्लील कंटेंट तक पहुँच इतनी आसान हो चुकी है कि नाबालिग भी इसे बिना किसी रोक-टोक के देख सकते हैं। सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर परोसी जा रही गंदगी युवाओं को नैतिक रूप से कमजोर कर रही है। किशोर और युवा, जो मानसिक रूप से पूरी तरह से परिपक्व नहीं होते हैं, उनके आदर्श और व्यवहार में अश्लील कंटेंट देखकर विकार आने लगता है। लेकिन हर किसी को केवल अपने मुनाफे के पीछे पड़ी हैं, भले ही इसके चलते आने वाली पीढ़ी गलत दिशा में ही क्यों ना जा रही हो। यह स्थिति इस कदर गंभीर हो चुकी है कि इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस स्थिति पर लगाम लगाने के लिए सरकार को सख्त नियम बनाने चाहिए और अश्लीलता फैलाने वाले सभी सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। साथ ही ऐसी साइट्स, जो असामजिक कंटेंट को बढ़ावा देती हैं, उन्हें तुरंत प्रभाव से ब्लॉक करना चाहिए। जिस प्रकार थिएटर में बच्चों को एडल्ट फिल्मों से दूर रखा जाता है, उसी प्रकार ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी ऐसी व्यवस्था करनी होगी ताकि वेब सीरीज और फिल्मों में दिखाई जाने वाली अश्लीलता को रोका जा सके। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को सेंसर बोर्ड के अंतर्गत लाने की भी आवश्यकता है ताकि इनके कंटेंट को परखा जा सके। हालाँकि सरकार अपनी और से प्रयास कर रही है, जैसे भारत सरकार ने 2021 में नए आईटी नियम लागू किए, जिनमें सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे अश्लील कंटेंट को रोकने के प्रावधान किए गए हैं। इन नियमों के तहत, सोशल मीडिया कंपनियों को गलत और फेक कंटेंट के सोर्स की जानकारी देनी होती है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि ऐसे कंटेंट को सबसे पहले किसने साझा किया था। परंतु यह सिर्फ शुरूआती कदम है।
सरकार के साथ-साथ, समाज, कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ़्लुएन्सर्स को भी अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी। कंटेंट क्रिएटर्स को यह ध्यान रखने कि जरुरत है कि उनके द्वारा बनाए गए कंटेंट का प्रभाव समाज पर क्या पड़ेगा। उन्हें गंभीरता से इस पर विचार करना होगा कि उनका हर कंटेंट किसी न किसी रूप में समाज के हर वर्ग को प्रभावित करता है, इसलिए उन्हें अपनी रचनात्मकता का उपयोग समाज के हित में करना चाहिए। दर्शकों को भी समझना चाहिए कि क्या देखना सही है और क्या गलत, जब हम अपनी और से असामाजिक चीजों का विरोध करेंगे तो ही इनके निर्माण पर रोक लगेगी। सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता को रोकना सिर्फ कानूनी जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हमारी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी भी है। क्योंकि सरकार चाहे कितने भी नियम बना ले जब तक हम सामाजिक रूप से अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे इस समस्या का समाधान होना संभव नहीं है इसलिए जरुरी है कि सभी इस विषय पर सख्त हो।

advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button