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छत्तीसगढ़

CG : हितग्राहियों को बांटने के बजाय कबाड़ में पड़े हैं 3 दर्जन टूल किट बॉक्स…

तखतपुर. छत्तीसगढ़ में इन दिनों सरकार की योजनाओं के अंतर्गत हो रहे गड़बड़ियों के कई मामले सामने आ रहे हैं. इन दिनों स्कूलों में वितरण करने वाले पुस्तकों का कबाड़ मामला सुर्खियों में है. वहीं अब बिलासपुर के तखतपुर नगर पालिका में टूल किट बॉक्स का कबाड़ होने वाला मामला सामने आया है. सरकारी योजनाओं के तहत आवंटित ये टूल किट अब कबाड़ में सड़ रहे हैं, जबकि इन्हें चर्मकार समुदाय के हितग्राहियों को वितरित किया जाना था.

राजनीतिक श्रेय के चक्कर में लापरवाही

इस मामले में देखा गया है कि 2015-16 में आदिम जाति अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा लगभग दो से तीन दर्जन टूल किट नगर पालिका तखतपुर को दिए गए थे. लेकिन समय बीतने के साथ-साथ सत्ता और अधिकारियों के बदलाव के बावजूद, ये टूल किट जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाए. प्रशासन की लापरवाही के कारण अब ये कबाड़ में पड़े हुए हैं.

सीएमओ ने कहा- संबंधित अधिकारियों से लेंगे जानकारी

इस मामले में तखतपुर के प्रभारी सीएमओ और प्रशिक्षु IAS तन्मय खन्ना ने कहा कि यह मामले उनके कार्यकाल का नहीं है और इसकी जानकारी वह तुरंत संबंधित अधिकारियों से लेंगे. उन्होंने वादा किया कि अगर लापरवाही पाई गई, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

सरकार की योजनाओं का उद्देश्य

सरकार की योजनाओं का मूल उद्देश्य अंतिम पंक्ति के व्यक्तियों को लाभ पहुंचाना है, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें. लेकिन तखतपुर का यह मामला दिखाता है कि अधिकारियों में इंटरेस्ट की कमी के कारण लाखों रुपये के टूल किट अब धूल चाट रहे हैं.

जरूरतमंदों का दर्द

सड़क किनारे छोटे-छोटे काम करने वाले चर्मकार समुदाय के लिए ये टूल किट वरदान साबित हो सकते थे. यदि समय पर इन्हें वितरित किया गया होता, तो इनकी जिंदगी में सुधार आ सकता था. लेकिन अब ये टूल किट बेकार हो चुके हैं और इन्हें कबाड़ में फेंक दिया गया है.

जागरूक नागरिक की राय

जागरूक नागरिक कृष्ण कुमार शर्मा का कहना है कि शासन की योजनाओं पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. यह हर हितग्राही का अधिकार है. ऐसे मामलों में जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

तखतपुर का यह मामला सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करता है. यदि स्थानीय प्रशासन इस मामले में गंभीरता से काम नहीं करता है, तो न केवल योजनाएं विफल होंगी, बल्कि गरीबों की उम्मीदें भी टूटेंगी.

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