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केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने और दो हाइड्रो पंप भंडारण परियोजनाओं को दी मंजूरी

नई दिल्ली। भारत में नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) देश के विद्युत ग्रिड में बड़े पैमाने पर ऊर्जा संग्रहण की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। एक स्थायी ऊर्जा भविष्य सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रतिबद्धता के साथ, सीईए ने महाराष्ट्र में और दो हाइड्रो पंप भंडारण परियोजनाओं (पीएसपी) को मंजूरी दी है, जिनमें जेएसडब्ल्यू एनर्जी लिमिटेड द्वारा 1500 मेगावाट की भावली पीएसपी और टाटा पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा 1000 मेगावाट की भिवपुरी पीएसपी विकसित की जा रही है।

ये पीएसपी केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और केंद्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधान केंद्र (सीएसएमआरएस) के समर्थन से सहमति दी गई और इन्हें डीपीआर के पूरा होने के 10 दिनों के भीतर सहमति दी गई, यानी जिस दिन डेवलपर्स द्वारा पूर्ण डीपीआर ऑनलाइन पोर्टल पर जमा किए गए।

इन पीएसपी के परियोजना डेवलपर्स ने इसकी शुरूआत तेजी से करने का संकेत दिया है और इन्हें 44 से 46 महीनों में पूरा करने की योजना बनाई है, अर्थात 2028 तक। ये पीएसपी कुल मिलाकर 15 जीवीएच (गिगावॉट घंटे) से अधिक की भंडारण क्षमता प्रदान करेंगे। बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण ग्रिड स्थिरता और गैर-सौर घंटों में शीर्ष मांग को पूरा करने में बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे ग्रिड में स्थिरता आएगी। यह नवीकरणीय ऊर्जा को तीव्रता से एकीकृत करने में मदद करेगा और हरित ऊर्जा प्रणाली में परिवर्तन को समर्थन देगा।

सीईए ने डेवलपर्स द्वारा डीपीआर के पूरा होने के आधार पर चालू वर्ष में प्रत्येक माह कम से कम दो पीएसपी को सहमति देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 2024-25 के दौरान, सीईए ने 25,500 मेगावॉट क्षमता वाले 15 हाइड्रो पीएसपी को मान्यता देने का लक्ष्य रखा है, इसमें से 5,100 मेगावॉट क्षमता के 4 पीएसपी पहले से ही सहमति प्राप्त कर चुके हैं।

‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के अंतर्गत, सीईए ने एक ऑनलाइन पोर्टल “जलवी-स्टोर” विकसित किया है जो पीएसपी के पूर्व डीपीआर चरण के चैप्टर की प्रक्रिया में और ज्यादा पारदर्शिता लाएगा। इसके अलावा, कुछ चैप्टरों को डीपीआर की शीध्र सहमति के लिए छोड़ दिया गया है। पीएसपी के मार्गदर्शिकाओं में चेक लिस्ट भी शामिल है, जो संबंधित चैप्टरों के लिए आवश्यक जानकारी के लिए स्पष्टता प्रदान करता है। जीएसआई और सीडब्ल्यूसी ने पीएसपी के डिजाइन चैप्टरों को तेजी से मंजूरी प्रदान करने के लिए कई टीमों का गठन किया है।

निजी डेवलपर्स के नेतृत्व में इन परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान करना, देश में ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने में निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। यह एक सहयोगी ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र की ओर बदलाव का प्रतीक है जहां सार्वजनिक और निजी क्षेत्र राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एकजुट होते हैं। यह साझेदारी भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों की प्रप्ति को गति प्रदान करेगी। सीईए को विश्वास है कि ये परियोजनाएं भारत के विद्युत ग्रिड की विश्वसनीयता और स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी, जिससे एक मजबूत एवं लचीले ऊर्जा भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।

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