छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव : सड़क पर फैले बाजार से यातायात ध्वस्त, प्रशासन पर उठ रहे सवाल

बढ़ते अतिक्रमण और अव्यवस्था पर प्रशासन की चुप्पी, यातायात की स्थिति हुई बदहाल

राजनांदगांव. शहर के मुख्य मार्गों और बाजारों में दिनोंदिन बढ़ रहे अतिक्रमण और अव्यवस्था ने आम नागरिकों के जीवन को दूभर कर दिया है। यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और राहगीरों के लिए सड़क पर चलना भी मुश्किल हो गया है। सड़कों पर अवैध तरीके से दुकानदारों द्वारा कब्जा कर लेने और गाड़ियों की अनियंत्रित पार्किंग से यातायात जाम की समस्या और विकराल होती जा रही है। इस स्थिति के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और नगर निगम प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, क्योंकि प्रशासन की तरफ से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

सड़कों पर बाजार लगने से पैदल चलना भी हुआ मुश्किल

नगर निगम और पुलिस की निष्क्रियता के चलते फुटपाथ और सड़कें बाजारों में तब्दील हो गई हैं। दुकानदार सड़कों पर अपना सामान सजाकर बैठे हैं, जिससे पैदल यात्रियों को निकलने तक की जगह नहीं मिल रही है। न केवल फुटपाथ बल्कि सड़क के किनारे और बीच सड़क पर भी दुकानें लगने लगी हैं। इससे न केवल राहगीरों को दिक्कत हो रही है, बल्कि यातायात का संचालन भी पूरी तरह से ठप हो गया है। जो सड़कें कभी यातायात के लिए खुली थीं, वे अब बाजार और पार्किंग स्थल बन गई हैं।

अनियंत्रित पार्किंग ने बढ़ाई समस्याएँ

सड़क पर चलने वाले वाहनों के साथ-साथ अव्यवस्थित पार्किंग ने भी स्थिति को और गंभीर बना दिया है। गाड़ियां, रिक्शे, ठेले-गाड़ी, और अन्य वाहन अनियंत्रित रूप से सड़कों के बीचो-बीच खड़े रहते हैं, जिससे यातायात की रफ्तार थम जाती है। बाजारों के पास की गलियां तो पूरी तरह से वाहनों से भरी रहती हैं, जिससे जाम की स्थिति लगातार बनी रहती है। इस अव्यवस्था में सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और इमरजेंसी सेवाओं से जुड़े लोगों को हो रही है। एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसी सेवाएं जाम में फंसी रहती हैं, जिससे नागरिकों के जीवन पर सीधा खतरा मंडराता है।

प्रशासन और पुलिस की नाकामी पर सवाल

नागरिक सवाल कर रहे हैं कि आखिर प्रशासन और पुलिस इस स्थिति पर चुप क्यों हैं? शहर में बढ़ते अतिक्रमण और यातायात की बिगड़ती स्थिति के बावजूद पुलिस और नगर निगम प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं। ऐसा लगता है कि प्रशासन और पुलिस ने इस अव्यवस्था को स्वीकार कर लिया है। फुटपाथों पर कब्जा करने वाले दुकानदारों और सड़क पर गाड़ियां खड़ी करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जिससे अराजकता फैल रही है।

जनता के धैर्य की परीक्षा

शहरवासियों का धैर्य अब टूट रहा है। वे कई बार जिला प्रशासन, पुलिस और नगर निगम से इस समस्या के समाधान की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। इससे आम जनता में प्रशासन के प्रति गहरा असंतोष और आक्रोश है। लोगों का कहना है कि शहर के नेताओं और अधिकारियों को इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। सड़कों पर बढ़ते अतिक्रमण और यातायात जाम की स्थिति का समाधान न किया गया तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी खराब हो सकती है।

डॉ. रमन सिंह से हस्तक्षेप की अपील

जनता का कहना है कि डॉ. रमन सिंह जैसे बड़े नेताओं को जनता की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। लोगों ने उनसे अपील की है कि वे इस गंभीर मुद्दे पर प्रशासन से जवाबदेही मांगें और आवश्यक कदम उठाएं। बाजारों में बढ़ती अराजकता और सड़कों पर फैलती अव्यवस्था को देखते हुए यह जरूरी है कि शीर्ष स्तर पर त्वरित हस्तक्षेप किया जाए।

सार्वजनिक हित में जल्द कार्रवाई की मांग

नगर निगम प्रशासन और पुलिस को मिलकर शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। फुटपाथों को कब्जे से मुक्त कराकर पैदल यात्रियों को चलने की जगह दी जानी चाहिए और अनियंत्रित पार्किंग पर सख्ती से रोक लगानी होगी। प्रशासन को शहर के प्रमुख बाजारों जैसे जयस्तंभ चौक , महावीर चौक, जूनी हटरी, गोल बाजार, सदर बाजार और भारत माता चौक क्षेत्रों में नियमित रूप से अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाना चाहिए।

अभी तक की स्थिति से स्पष्ट है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले दिनों में यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है और शहर में रहने वाले लोगों की समस्याएं और बढ़ सकती हैं। जनता को उम्मीद है कि जल्द ही इस दिशा में ठोस प्रयास किए जाएंगे और यातायात की स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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