Diwali 2020- इस दिवाली माता-पिता बच्चों को सिखाएं ये 5 चीजें
संस्कारों की यात्रा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक अनवरत चलती रहती है। जो ज्ञान और अनुभव हमने अर्जित किया है वह आने वाली पीढ़ी से साझा करना हमारा कर्तव्य है। दिवाली का त्योहार एक ऐसा ही समय है जब आप अपने परिवार, अपनी संस्कृति से जुड़ी कई बातें बच्चों को सिखा सकते हैं।
बच्चों को ये बताएं कि साफ़-सफ़ाई कितनी ज़रूरी है, और यह रिवाज भारतीय परम्परा में क्यों हैं। दरअसल, प्राचीन समय में सभी के घर मिट्टी के होते थे और दीपावली के पहले वर्षा ऋतु की विदाई होती है। इसलिए दीपावली के मौक़े पर घरों की लिपाई-पुताई की जाती थी, ताकि बारिश के कारण हुए नुक़सान, फफूंद और कीड़ों आदि को भगाकर घर की मरम्मत की जा सके। और फिर रामजी तथा लक्ष्मीजी के घर आने का प्रसंग तो शाश्वत है ही।
दिवाली की साफ़-सफ़ाई में पुराने कपड़े भी निकलते हैं जिन्हें ज़रूरतमंदों को दे दिया जाता है। बच्चों के हाथों से पुराने कपड़ों को दिलवाएं और यह भी सुनिश्चित करें कि कपड़े धुले तथा इस्त्री किए गए हों, जिससे कपड़े लेने वाले का भी मान बढ़े।
दिवाली से जुड़ी तमाम पौराणिक कथाएं लोगों को कंठस्थ रहती हैं। इन्हीं कहानियाें को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी हमारी भी है। रामायण, महाभारत आदि से जुड़ी कहानियां इस मौक़े पर सुनाई जा सकती हैं। साथ ही माता-पिता समय मिलने पर बच्चों के साथ अपने समय के दिवाली के अनुभव भी साझा कर सकते हैं कि उस समय किस तरह की तैयारी होती थी, कैसे पकवान बनते थे, किस तरह की आतिशबाज़ियां वे किया करते थे।
बच्चों को जो भी पकवान पसंद है या उन्हें जिस तरह का डेकोरेशन पसंद है, उसे तैयार करने में आप उनकी मदद ले सकते हैं। पसंद के काम को बच्चे दोगुने उत्साह के साथ करते हैं।