जिम्मेदारियां निभाने में नाकाम महापौर ने पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई – किशनुयदु
0 शहर और एमआईसी में विश्वास खो चुकी मेयर… अब इस्तीफा दें
राजनांदगांव।
नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने बयान जारी कर कहा है कि, महापौर अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में नाकाम ही रहीं हैं… इसके अलावा उन्होंने अपने पद की गरिमा को भी ठेस पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ऐसे में बेहतर होगा कि अब वें इस्तीफा दे दें। महापौर हेमा देशमुख और पार्षद राजेश गुप्ता चंपू के बीच उपजे विवाद को नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने महापौर के प्रति एमआईसी सदस्यों में रोष की परिणति बताया है। उन्होंने कहा, महापौर के निर्णयों में एमआईसी के सदस्य ही उनके साथ नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने कहा कि, निगम में सफाई ठेके को लेकर भी महापौर परिषद में विवाद उभरा था और स्वास्थ्य विभाग के चेयरमेन सहित एक अन्य ने इसकी खिलाफत की थी। इसके बाद से ही ये दोनों एमआईसी चेयरमेन परिषद के फैसलों से खुद को अलग रख रहे हैं। वे नस्तियों में न ही दस्तखत कर रहे हैं और न ही महापौर की कार्यशैली से संतुष्ट हैं। इसके बाद अब चंपू गुप्ता ने उनकी कार्यशैली को लेकर गंभीर आरोप लगाएं हैं। स्पष्ट है कि मेयर अपना स्वार्थ शहर पर थोप रहीं हैं। जिसके चलते उन्होंने एमआईसी का विश्वास गंवा दिया है।
यदु ने कहा कि, विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में जनता ने जिस तरह कांग्रेस को नकारा है उससे साबित होता है कि महापौर हेमा देशमुख अपनी और कांग्रेस की साख गिरा चुकी हैं। दूसरी ओर उनके ही साथी जिस तरह दूर हो रहे हैं और जो अंदरुनी बातें उभरकर सामने आ रहीं हैं उससे ये भी स्पष्ट हो गया है कि, वे निष्पक्ष जिम्मेदारियों के निर्वहन में चूक चुकी हैं। वार्डों के विकास की उपेक्षा का आरोप तो और भी गंभीर है जो कि चंपू गुप्ता ने उनपर लगाया है। इस तरह की संगीन शिकायतों के बाद शहर की जनता का हित देखते हुए उन्हें अपने पद से तत्काल त्याग पत्र दे देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि, महापौर हेमा देशमुख के कार्यकाल के पूरे पांच सालों में निगम की अंदरुनी खिंचतान, एमआईसी सदस्यों की सलाहों को दरकिनार कर अपने फैसले थोपने, पार्षदों की वार्डों से जुड़ी मांगों को पूरा न किए जाने, हर बात पर बे फिजूल दंभ भरने की राजनीति ने शहर का बंटाधार कर दिया। पेयजल आपूर्ति, सड़क, नाला-नाली निर्माण सहित राजस्व बढ़ाने की दिशा में कोई काम महापौर हेमा देशमुख ने नहीं किया। अलबत्ता उनके कार्यकाल में आश्रय स्थलों को होटल में तबदील कर दिया गया, फूड पार्क को खंडहर बना दिया, कई उद्यानों से ओपन जिम के सामान गायब हो गए, गार्डन में शौचालय का निर्माण शुरु हो गया, फ्लाई ओवर के नीचे न पार्किंग की व्यवस्था बन पाई और न ही गुमटियां लगाकर स्ट्रीट वेंटरों को राहत दिलाई गई, निगम कर्मियों को समय पर वेतन नहीं मिल सका और न ही उनके हितों के लिए कोई कार्य किया गया। कुल मिलाकर महापौर का पूरा कार्यकाल नाकामियों और जनता के हितों से खिलवाड़ का उदाहरण बनकर रहा गया है।